Parliament security in CISF Hand: भारतीय संसद की पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी जल्द ही केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के हाथों में होगी. अभी सीआईएसएफ के पास संसद परिसर में तलाशी और एंट्री व्यवस्था की देखरेख की जिम्मेदारी है. इस प्रोपोजल से जुड़े तीन अधिकारियों ने सोमवार (8 अप्रैल) को बताया कि जल्द ही सीआईएसएफ को पूरे संसद की सुरक्षा का चार्ज मिल जाएगा.


अधिकारियों ने बताया कि 13 दिसंबर 2023 को संसद के अंदर दो लड़कों के घुसपैठ करने और फिर धुआं स्प्रे करने का मामला सामने आने के बाद पार्लियामेंट की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई. इसके बाद सीआईएसएफ को एंट्री और तलाशी की जिम्मेदारी दी गई. इस बीच समीक्षा में यह निकला कि देश के सबसे हाई-प्रोफाइल परिसरों में से एक की सुरक्षा में कई एजेंसियों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.


पहले दिल्ली पुलिस के पास थी जिम्मेदारी


दरअसल, संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी पहले दिल्ली पुलिस के पास थी, लेकिन 13 दिसंबर की घटना के कुछ दिनों बाद, एक्सेस कंट्रोल और आने वालों की तलाशी सहित अन्य उपायों के लिए दिल्ली पुलिस की जगह सीआईएसएफ को लाया गया. फिलहाल संसद में तीन लेयर की सुरक्षा है जो परिसर के एंट्री पॉइंट्स, नए संसद भवन और लाइब्रेरी के एंट्री पॉइंट्स पर काम करता है. सीआईएसएफ अभी संसद के महत्वपूर्ण गलियारों और गैलरी को भी सुरक्षित करता है.


22 जनवरी के बाद 140 CISF कर्मियों की हुई एंट्री


अधिकारियों ने बताया कि 13 दिसंबर 2023 की घटना से पहले तक संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के संसद सुरक्षा सेवा (पीएसएस) नामक एक विशेष विभाग के पास थी. इसमें दिल्ली पुलिस के अधिकारी ही शामिल होते थे. वर्तमान में संसद के पूरे एरिया और एंट्री गेट पर दिल्ली पुलिस के जवान मौजूद हैं. इसके अतिरिक्त 140 सीआईएसएफ कर्मी जिन्हें 22 जनवरी को संसद में लाया गया था, भी प्रवेश द्वार पर तैनात हैं. लोकसभा के एक अधिकारी ने बताया कि लोकसभा सचिवालय इस नए सिस्टम को शुरू करने के लिए संबंधित सरकारी विभागों के संपर्क में है. जल्द ही इस पर फैसला होगा.


हवाई अड्डों और कई प्रतिष्ठानों की सुरक्षा संभालता है CISF


करीब दो लाख कर्मियों की ताकत के साथ सीआईएसएफ देश में हवाई अड्डों, मेट्रो स्टेशनों और कम से कम 356 संवेदनशील प्रतिष्ठानों जैसे कोयला खदानों और परमाणु और बिजली संयंत्रों को सुरक्षा प्रदान करता है.


छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में वामपंथी उग्रवाद वाले क्षेत्रों में कई सरकारी प्रतिष्ठान भी सीआईएसएफ की ओर से सुरक्षित किए जाते हैं. यह एकमात्र अर्धसैनिक बल है जिसके पास एक अलग फायर यूनिट है जो कम से कम 104 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को फायर प्रोटेक्शन कवर प्रदान करती है. सीआईएसएफ की फायर यूनिट में करीब 8,000 कर्मचारी हैं.


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