नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा से निपटने में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए सुरक्षाबलों ने कमर कस ली है. इसी क्रम में सीआईएसएफ ने हिंसा प्रभावित बस्तर मंडल में भर्ती अभियान शुरु कर 743 स्थानीय युवाओं की भर्ती की है.
बटालियन में स्थानीय आदिवासियों की भर्ती
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि नक्सली हिंसा से निपटने के लिये गठित आदिवासी बटालियन में स्थानीय आदिवासियों की भर्ती की गयी है. इनमें 242 महिलायें शामिल हैं.
बस्तरिया बटालियन के नाम से भी लोकप्रिय
अधिकारी ने बताया कि इन युवाओं की भर्ती कॉन्स्टेबल के पद पर की गयी है. इनमें से अधिकांश नक्सली हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर जिले के रहने वाले हैं. बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों की भर्ती से गठित आदिवासी बटालियन बस्तरिया बटालियन के नाम से भी लोकप्रिय है.
सिर्फ बस्तर क्षेत्र के युवाओं की ही भर्ती
इस बटालियन के गठन का मकसद सुरक्षा बलों में स्थानीय प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देते हुये इन्हें रोजगार के अवसर मुहैया कराना है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बस्तरिया बटालियन के गठन को इसी शर्त पर मंजूरी दी है कि इसमें सिर्फ बस्तर क्षेत्र के युवाओं की ही भर्ती होनी चाहिये.
स्थानीय मुद्दों की जटिलताओं को सुलझाने में भी मदद
इनकी भर्ती से न सिर्फ स्थानीय युवाओं की नक्सल हिंसा से निपटने में भागीदारी बढ़ेगी बल्कि सुरक्षा बलों को भाषा और अन्य स्थानीय मुद्दों की जटिलताओं को सुलझाने में भी मदद मिलेगी.
नक्सली गुटों के खुफिया तंत्र में घुसपैठ
साथ ही स्थानीय युवाओं की मदद से नक्सली गुटों के खुफिया तंत्र में भी सुरक्षा बलों का घुसपैठ बनाना आसान हो जाता है. कॉन्स्टेबल की भर्ती में आदिवासी युवकों को शारीरिक दक्षता संबंधी मानकों में ढील देते हुये लंबाई में 160 सेंमी के मानक में 4.5 सेंमी और वजन में मानक से 10 प्रतिशत की छूट दी जाती है.