नई दिल्लीः भारत और चीन के दसवें दौर के कमांडर स्तर की बातचीत से पहले चीनी मीडिया ने गलवान घाटी की हिंसा के दो-तीन वीडियो जारी किए हैं. इन वीडियो के माध्यम से चीन ने ये दिखाने की कोशिश की है कि गलवान घाटी की हिंसा के लिए चीनी सेना नहीं भारतीय सैनिक जिम्मेदार हैं. इन वीडियो के जरिए चीन ने दिखाने की कोशिश है कि गलवान घाटी की हिंसा, भारतीय सेना द्वारा गलवान नदी पर अस्थायी पुल बनाने को लेकर हुई थी. पहली बार इन वीडियो में रात के समय दोनों देशों के सैनिकों को लड़ते हुए देखा जा सकता है.


हालांकि, भारतीय सेना की तरफ से इन वीडियो को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. चीनी मीडिया ने ये वीडियो ऐसे समय पर जारी किए हैं जब शुक्रवार को ही चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने अपने घायल हुए एक सीनियर कर्नल (ब्रिगेडियर) को 'हीरो कर्नल' के खिताब से नवाजा है.


इस सीनियर कर्नल, कयो फेबाओ को भी गलवान घाटी की हिंसा में भारतीय‌ सैनिकों से कहासुनी करते हुए दिखाया गया है. हालांकिं सीनियर कर्नल के गलवान घाटी में हुई हिंसा के दौरान मौजूद रहने का कोई साक्ष्य नहीं है. कयो फेबाओ, करीब दो साल पहले भी पूर्वी लद्दाख के एक वीडियो में दिखाया दिया था. इस वीडियो में वो एक ट्रांसलेटर की मदद से आईटीबीपी के एक अफसर से लड़ता दिख रहा है.


चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर से माना है कि गलवान घाटी की हिंसा में उसके 04 सैनिक मारे गए थे और एक सैनिक घायल हुआ था. चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने शुक्रवार को इन सभी सैनिकों को बहादुरी पदक से नवाजा. हालांकि, भारत और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया एजेंसियों का मानना है कि इस हिंसा में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे.


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