China New Map Controversy: चीन ने एक बार फिर उकसाने वाला काम करते हुए नया नक्शा जारी किया है, जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चीन को अपना हिस्सा दिखाया है. ये नक्शा ऐसे समय में जारी हुआ है, जब चीन के राष्ट्रपति अगले महीने सितम्बर में होने वाली जी-20 की बैठक के लिए नई दिल्ली आने वाले हैं. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मैप को बेतुका बताया है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार को सलाह भी दी है.


समाचार एजेंसी एएनआई से तिवारी ने कहा, ''चीन का दावा बेतुका है और इसकी निरर्थकता चीन-भारत सीमा विवाद के इतिहास से प्रमाणित होती है. आज असल मुद्दा ये है कि चीन ने थियेटर स्तर पर कई प्वाइंट पर एलएसी का उल्लंघन किया है. ऐसे में सरकार को गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि दिल्ली में ऐसे व्यक्ति शी जिनपिंग को बुलाना क्या भारत के स्वाभिमान के अनुरूप होगा, जिसने एलएसी से लगी 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है.


मनीष तिवारी ने चीन के नए नक्शे पर क्या कहा?


चीन के नए नक्शे पर मनीष तिवारी ने कहा, भारत-चीन सीमा के तीन सेक्टर हैं. एक पूर्वी सेक्टर हैं, जहां मैकमोहन लाइन को 1940 से भारत और चीन के बीच सीमा के रूप में मान्यता मिली हुई है, जब भारत, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किया था. जहां तक मिडल सेक्टर की बात है, कुछ छोटे-मोटे मुद्दों को छोड़कर दोनों पक्षों में कोई विवाद नहीं है.


असल समस्या पश्चिमी सेक्टर पर है, जहां पर बॉर्डर सही तरीके से रेखांकित नहीं है. 1865 में ब्रिटिश सरकार ने पहली बार इस इलाके को रेखांकित करने की कोशिश की. उन्होंने जम्मू कश्मीर राज्य और तिब्बत के बीच सीमा निर्धारण के लिए सर्वे कराया. एक सीमा प्रस्तावित हुई, जिसे जॉनसन-आर्डेग लाइन कहा गया.


इसके बाद 1873 फॉरेन ऑफिस लाइन और 1899 में मैकडोनाल्ड लाइन बनी. ये तीनों लाइन ब्रिटिश सरकार ने चीन को भेजी लेकिन चीन ने न तो इसे स्वीकार किया और न ही इनकार किया. यही मुद्दा आगे बढ़ता हुआ 1962 भारत-चीन युद्ध के रूप में सामने आया.


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