भारत और चीन के बीच एलएसी पर तनाव के दौरान पिछले साल मुंबई के बिजली प्लांट में साइबर सेंधमारी संबंधी रिपोर्ट को बीजिंग ने खारिज कर दिया है. चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा- “इस संबंध में लगाए जा रहे आरोप कोरी अफवाह और अटकलबाज़ी हैं. साइबर हमले बेहद जटिल और संवेदनशील मामला हैं. उनके उत्स को आसानी से पकड़ना मुमकिन नहीं है. कल्पना और कयासों का इसमें कोई स्थान नहीं है. ऐसे में किसी एक पक्ष पर आरोप लगाना बहुत गैर जिम्मेदारी वाला है जबकि कोई सबूत न हों. चीन ऐसे किसी भी गैर-जिम्मेदाराना और बदनीयती से उठाए जाने वाले कदम के खिलाफ है. ”


साइबर हमले को चीन ने बताया अफवाह


बयान में चीन ने आगे कहा- “बीते कुछ समय से सायबर हैकिंग के जरिए चीन की कथित वैक्सीन चोरी को लेकर कयासबाजी की जाती रही. चीन वैक्सीन शोध और उसके विकास में अगुवा है. हमें दूसरों से वैक्सीन तकनीक चुराने की न तो जरूरत है और न उस पर कोई भरोसा. भारत औऱ चीन दोनों ही अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन सहयोग में भागीदार रहे हैं और दोनों को ही भ्रामक खबरों का निशाना बनाया गया. यह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के हित में नहीं है.”

चीनी दूतावास ने आगे कहा- चीन साइबर सुरक्षा का प्रबल पक्षधर है और हैकिंग हमलों का एक बड़ा शिकार भी रहा है. चीन सभी तरह के साइबर हमलों और अपराधों के खिलाफ है और उनसे लड़ाई का पक्षधर है. कानूनी तरीकों से चीन देश के भीतर और चीनी साइबर ढांचे का इस्तेमाल करने वाले साइबर सेंधमारों के खिलाफ कार्रवाई करता रहा है.

साइबर हमले से संबंधित खबरें हटाने की मांग

साइबर के कथित हमले के आरोप पर चीनी दूतावास ने कहा- हम सायबर सुरक्षा मुद्दे के राजनीतिक इस्तेमाल और आरोप-प्रत्यारोप के लिए प्रयोग के खिलाफ हैं. इससे हैकिंग के मुद्दों का समाधान अधिक मुश्किल हो जाएगा क्योंकि इससे पारस्परिक विश्वास कम ही होता है. हम संबंधित मीडिया संस्थानों से इन आधारहीन, भ्रामक सूचना वाली खबरों को हटाने की मांग करते हैं.


उसने आगे कहा- सायबर हमले सभी देशों के लिए एक साझा चुनौती हैं. चीन सभी देशों से इस संबंध में सहयोग, संवाद और साझेदारी बढ़ाने का आग्रह करता है. ताकि इस चुनौती का मुकाबला पारस्परिक सम्मान, बराबरी और सबके फायदे के अनुरूप किया जा सके. चीन अन्य पक्षों के साथ सायबर सुरक्षा खतरों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाने, शांति और स्थायित्व सुनिश्चत करने और साझेदारी वाले भावी सायबर समाज को बनाने के लिए काम करने को तैयार है.

साइबर सेंधमारी को लेकर क्या थी रिपोर्ट?


अमेरिका की एक कंपनी ने अपने हालिया अध्ययन में दावा किया है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के दौरान चीन सरकार से जुड़े हैकरों के एक समूह ने ‘‘मालवेयर’’ के जरिए भारत के पावरग्रिड सिस्टम को निशाना बनाया. ऐसी आशंका है कि पिछले साल मुंबई में बड़े स्तर पर बिजली आपूर्ति ठप होने के पीछे शायद यही मुख्य कारण था.


अमेरिका में मैसाचुसेट्स की कंपनी ‘रिकॉर्डेड फ्यूचर’ ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चीन के समूह ‘रेड इको’ द्वारा भारतीय ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाए जाने का जिक्र किया है. पिछले साल 12 अक्टूबर को मुंबई में एक ग्रिड ठप होने से बिजली गुल हो गई थी. इससे ट्रेनें भी रास्तें में ही रूक गयी और महामारी के कारण घर से काम रहे लोगों का कार्य भी प्रभावित हुआ और आर्थिक गतिविधियों पर भारी असर पड़ा. आवश्यक सेवाओं के लिए बिजली आपूर्ति बहाल में दो घंटे लग गए थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना की जांच का आदेश दिया था.


‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक खबर में कहा कि इस खुलासे से सवाल उठा है कि मुंबई में बिजली गुल के पीछे कहीं बीजिंग यह संदेश तो नहीं देना चाहता था कि अगर भारत ने सीमा पर आक्रामक व्यवहार जारी रखा तो क्या हो सकता है. ‘रिकॉर्डेड फ्यूचर’ की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि कथित रूप से भारत प्रायोजित समूह ‘साइडविंडर’ ने 2020 में चीनी सेना और सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बताया.


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