नई दिल्ली: हाल ही में चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं के बीच भारतीय सीमा के करीब जो 'शाहीन' एक्सरसाइज हुई थी, क्या वो भारत के राफेल से टक्कर लेने के लिए की गई थी. ये सवाल इसलिए क्योंकि इस एक्सरसाइज के लिए एक खास 'लोगो' (प्रतीक चिंह) तैयार किया गया था. इस लोगो में ड्रैगन को राफेल को दो टुकड़ों में तोड़ते हुए दिखाया गया और लिखा है 'जब ड्रैगन्स मिलते हैं'. लेकिन आपको बता दें कि राफेल से पहले ही भारतीय वायुसेना के पास‌ एक फाइटर जेट है, जिसे 'ड्रैगन स्लेयर' का खिताब मिल चुका है. वो है मिग29 लड़ाकू विमान जो पिछले आठ महीने से पूर्वी लद्दाख में तैनात है और दिन-रात चीन से सटी एयर-स्पेस में दिन-रात कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग करता है.


पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पिछले महीने (11-25 दिसम्बर) 'शाहीन' एक्सरसाइज हुई थी. चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं के बीच होने वाली सालाना एक्यरसाइज का ये नौवां संस्करण था. ये युद्धभ्यास गुजरात से सटी भारतीय सीमा के करीब हुआ था. शाहीन एक्सरसाइज में चीनी वायुसेना (पीएलए-एएफ) की तरफ से जे10 फाइटर जेट्स ने हिस्सा लिया था. पाकिस्तान की तरफ से जेएफ17 लड़ाकू विमान ने शिरकत की थी.


शाहीन युद्धभ्यास के बाद पाकिस्तानी मीडिया में एक लोगो का प्रचार-प्रसार किया गया. इस लोगो में दिखाया गया है कि आक्रामक मुद्रा में एक ड्रैगन राफेल लड़ाकू विमान के दो टुकड़े कर रहा है. ड्रैगन, चीन का राष्ट्रीय चिंह है. इस प्रतीक चिन्ह में ड्रैगन और राफेल के साथ-साथ चीन के 10जे और पाकिस्तान के जेएफ17 फाइटर जेट्स को भी दिखाया गया है. जेएफ 17 भी चीनी फाइटर जेट है, जो पाकिस्तान के लिए बनाए गए हैं. यही वजह है कि इस लोगो में लिखा गया है 'वैन ड्रैगन्स मीट...देयर इज़ फायर एंड ब्लड' यानि जब दो ड्रैगन मिलते हैं, तो आग लग जाती है और खून बहता है. इसका इशारा सीधे तौर से राफेल के लिए है. इस तरह के बैज़ ('लोगो') पायलट्स‌ अपने जे-सूट (फाइटर जेट उड़ाते समय पहनने वाली यूनिफॉर्म) पर भी लगाते हैं.


लेकिन आपको बता दें कि चीन और पाकिस्तान भले ही मिलकर भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमानों को टक्कर देने का दम भर रहे हों, लेकिन चीन और पाकिस्तान ये शायद नहीं जानते हैं कि भारतीय वायुसेना में जो मिग-29 फाइटर जेट्स हैं उन्हें पहले से ही 'ड्रैगन स्लेयर' यानि ड्रैगन का मारने वाला का खिताब मिल चुका है.


मिग29 फाइटर जेट्स भारतीय वायुसेना ने 80 के दशक में रूस‌ से लिए थे. मिग29 की दो स्कॉवड्रन तभी से पंजाब के आदमपुर में तैनात रहती हैं- एक स्कॉवड्रन में 18-20 लड़ाकू विमान होते हैं. इन मिग29 की जिम्मेदारी चीन और पाकिस्तान की एयर-स्पेस की सुरक्षा और निगरानी की है. करीब दो साल पहले इन रूसी विमानों को अपग्रेड किया गया था, जिसके बाद से ये बेहद लीथल यानि घातक हो गए हैं.


अपग्रेडेड मिग29 फाइटर जेट्स का डिटेचेमैंट पिछले आठ महीने से पूर्वी लद्दाख के फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात है और दिन रात चीन से सटी एयर स्पेस पर कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग (सीएपी) करते हैं. इन मिग29 की परफॉर्मेंस को देखते हुए ही भारत 21 और मिग29 रूस से खरीदने जा रहा है.


जानकारी के मुताबिक, रूस ने पुराने मेक के 21 मिग-29 फाइटर जेट्स को अपग्रेड करने का भी वादा किया है. इसके अलावा इस सौदे में ही भारतीय वायुसेना की तीन स्कॉवड्रन में तैनात 59 मिग-29 जेट्स को भी अपग्रेड किया जाएगा. हालांकि, इन पुराने मिग-29 का हाल ही में अपग्रेडेशन किया गया था, लेकिन अब इन्हें मल्टीरोल एयरक्राफ्ट्स में तब्दील किया जाएगा. अभी तक मिग-29 लड़ाकू विमानों को एयर-सुपीयेरेटी के लिए माना जाता था. लेकिन मल्टी रोल में तब्दील होने पर अब इन विमानों को ग्राउंड-अटैक के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा.


पिछले आठ महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनातनी चल रही है. हाल ही में वायुसेना प्रमुख आर के एस भदौरिया ने कहा था कि चीन की पीएलए सेना की मदद के लिए चीनी वायुसेना ने बड़ी तादाद में अपने फॉरवर्ड एयरबेस पर लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर्स, ड्रोन्स और मिसाइलों को तैनात कर रखा है.


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