US Report on China: एलएसी पर भारत से जारी विवाद के बीच चीन की विस्तारवादी नीति और दुनिया के सबसे ताकतवर देश बनने की भूख बढ़ती जा रही है. इसका खुलासा अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में हुआ है. अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस यानि रक्षा विभाग (पेंटागन) ने इसी हफ्ते अपने देश की कांग्रेस (संसद) के सामने चीन को लेकर जो रिर्पोट पेश की है. इसके मुताबिक, चीन अपने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षा के अनुरूप पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का आधुनिकिकरण 2035 तक और 2049 तक 'वर्ल्ड क्लास मिलिट्री' बनने का सपना पूरा करने की जुगत में बेहद तेजी से जुटा है.



चीनी वायुसेना का विस्तार

पेंटागन की 'मिलिट्री‌ एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वोलविंग पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना-2021' नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी वायुसेना इस वक्त इंडो-पेसेफिक क्षेत्र में सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एविएशन फोर्स है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन बेहद  तेजी से अपनी वायुसेना की ताकत में इजाफा कर रहा है. चीन के पास फिलहाल 2800 से ज़्यादा विमान हैं जिनमें 2250 फाइटर जेट्स, टैक्टिकल बॉम्बर और स्ट्रेटेजिक बॉम्बर शामिल है. इन 2800 लड़ाकू विमानों में ट्रेनर और यूएवी शामिल नहीं है. अगर उन्हें भी शामिल कर दिया जाए तो ये संख्या काफी बढ़ जाएगी.

चीन फोर्थ जेनरेशन ‌यानि चौथी-श्रेणी के फाइटर जेट्स से अपनी वायुसेना को मज़बूत करने में जुटा है. चीन की पीएलए (एयरफोर्स) के कुल 1800 फाइटर एयरक्राफ्ट में 800 से ज़्यादा चौथी श्रेणी के हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने हाल के सालों में अपनी पांच पीएलए थियेटर कमान में छह‌ (06) नए एयरबेस तैयार किए है जबकि कई का आधुनिकीकरण किया है. इ‌सके साथ साथ, चीन ने अपने फाइटर जेट्स और बॉम्बर एयरक्राफ्ट्स की डिविज़न को भंग कर ब्रिगेड में तब्दील कर दिया है. 

चीन की पीएलए (नौसेना)


355 युद्धपोत और पनडुब्बियों के साथ चीनी नौसेना इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री-ताकत है.

परमाणु हथियारों का जखीरा


चीन अपनी न्यूक्लियर ताकत को बढ़ाने में भी जुटा है.‌ पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2027 तक चीन के पास 700 परमाणु वॉरहेड होंगे और 2030 तक इसकी संख्या 1000 तक पहुँच सकती है.

चीन की ताकतवर रॉकेट फोर्स अमेरिका के लिए चुनौती

पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलए रॉकेट फोर्स ने साल 2020 में यानी कोरोना काल में 250 से ज़्यादा बैलेस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया, जो दुनिया की सभी सेनाओं के कुल परीक्षण से ज्यादा था. इसके अलावा चीन ने अपना पहला हाइपरसोनिक वैपन सिस्टम डीएफ-17 को भी ऑपरेशन्ली तैनात कर दिया है. रिपोर्ट की मानें तो अगले पांच साल में चीन के इंटर कोन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल यानि आईसीबीएम की संख्या 200 से ज्यादा पहुंच जाएगी.


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