Chhattisgarh conversion Bill Latest News: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को रोकने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली राज्य सरकार नया कानून लेकर आएगी. छत्तसीगढ़ के संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का कहना कि हमारी सरकार इसी सत्र में धर्म स्वतंत्र विधेयक लाएगी. विधेयक के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति दूसरा धर्म स्वीकार करना चाहता है तो उसे कम से कम 60 दिन पहले पर्सनल डिटेल्स के साथ एक फॉर्म भरना होगा और इसे डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के पास जमा करना होगा.


बृजमोहन अग्रवाल ने 15 फरवरी को कहा था, “ऐसी बहुत सारी शक्तियां हैं जो कि विदेशी फंड के आधार पर छत्तीसगढ़ की डेमोग्राफी और इकोनॉमी को बर्बाद करने की कोशिश कर रही है. लालच के जरिए बिना शासन को सूचना दिए धर्म परिवर्तन (Religious Conversion) करा लेते हैं और उसके कारण विवाद और समाज में विद्वेष पैता होता है.”


डीएम पुलिस से कराएंगे धर्म परविर्तन के मकसद की जांच


अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित विधेयक के तहत अगर छत्तीसगढ़ में रहने वाला कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ फॉर्म भरकर डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट के पास जमा करना होगा. इसके बाद डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट पुलिस से व्यक्ति के धर्म बदलने के पीछे के वास्तविक इरादे, कारण और उद्देश्य का आकलन करने को कहेंगे. इसी तरह धर्मांतरण समारोह का आयोजन करने वाले व्यक्ति या संस्था को भी इसी तरह से कम से कम एक महीने पहले फॉर्म भरकर देना होगा.


जबरन या लालच देकर किया गया धर्म परिवर्तन होगा अवैध 


ऐसा बताया गया कि इस धर्म स्वतंत्र विधेयक का मसौदा तैयार है लेकिन विधानसभा में पेश किए जाने से पहले इसमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मसौदे में यह भी कहा गया कि किसी चीज का दुरुपयोग करके, बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव दिखाकर, जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखा देकर किसी से शादी करके भी धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता है. अगर डीएम को इसकी सूचना मिलती है तो वह इस तरह के धर्मांतरण को अवैध करार देंगे.


धर्मांतरण के बाद भी डीएम के सामने होना होगा पेश


मीडिया रिपोर्ट की मानें तो विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया कि धर्मांतरण के बाद व्यक्ति को 60 दिनों के अंदर एक और घोषणा पत्र भरना होगा और सत्यापन के लिए डीएम के सामने खुद को पेश करना होगा. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो धर्मांतरण को अवैध माना जा सकता है. डीएम की ओर से धर्म परिवर्तन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का एक रजिस्टर मेंटेन किया जाएगा.


पुराने धर्म में वापस आने वालों पर लागू नहीं होगा ये कानून


विधेयक में यह भी कहा गया कि नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने वालों को कम से कम दो साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी. साथ ही उस पर न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना लगेगा. वहीं, सामूहिक धर्म परिवर्तन पर कम से कम तीन साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपये जुर्माना होगा. कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपये तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है. यह कानून उन लोगों पर लागू नहीं होगा जो अपने पिछले धर्म में दोबारा धर्म परिवर्तन करके वापस जाना चाहते हैं.


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