तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि कोई भी झूठा प्रचार या राजनीतिक जोड़-तोड़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) को 2026 में राज्य में अगली सरकार बनाने से नहीं रोक सकता.

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मुख्यमंत्री ने यह टिप्पणी धर्मपुरी में द्रमुक सांसद ए. मणि के परिवार के सदस्य के विवाह समारोह में एक सभा को संबोधित करते हुए की. मुख्यमंत्री स्टालिन इससे पहले एक निजी विमान से चेन्नई से सलेम गए और समारोह में शामिल होने और वर-वधू को आशीर्वाद देने के लिए कार से धर्मपुरी पहुंचे.

मुख्यमंत्री स्टालिन ने संबोधन के दौरान चुनाव आयोग पर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के माध्यम से एक 'दुर्भावनापूर्ण अभ्यास' को लागू करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य महत्वपूर्ण राज्य चुनावों से पहले वास्तविक मतदाताओं, खासकर भाजपा विरोधी माने जाने वाले मतदाताओं को हटाना है.

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उन्होंने कहा, 'इस लोकतंत्र-विरोधी कदम को रोकने के लिए, हमने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई और एसआईआर की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. चुनाव से कुछ महीने पहले मतदाता सूची का पूर्ण पुनरीक्षण करने का आयोग का निर्णय, वैध मतदाताओं को हटाने की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है.'

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि बिहार में भी यही हथकंडा अपनाया गया था, जहां लाखों वास्तविक मतदाताओं को कथित तौर पर सूची से हटा दिया गया था. इस विवादास्पद प्रक्रिया का विरोध सबसे पहले तमिलनाडु से हुआ था, जिसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार के विपक्षी नेता ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी. मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, 'कानूनी मामला दर्ज होने के बाद भी, चुनाव आयोग ने कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया.'

अन्नाद्रमुक महासचिव ए. पलानीस्वामी पर निशाना साधते हुए, मुख्यमंत्री स्टालिन ने उन पर दोहरा खेल खेलने और भाजपा के साथ अपने राजनीतिक संबंधों के कारण आयोग से डरने का आरोप लगाया. उन्होंने आगे कहा कि जहां बिहार के प्रवासी मजदूरों को तमिलनाडु में रोजी-रोटी और सम्मान मिला है, वहीं प्रधानमंत्री 'चुनावी फायदे के लिए बिहार में राजनीतिकरण कर रहे हैं.'

मुख्यमंत्री स्टालिन ने राजनीतिक चुनौती देते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री तमिलनाडु आएं और वही बयान दें जो उन्होंने बिहार में दिए थे. हमारे खिलाफ चाहे जितने भी झूठ फैलाए जाएं, जनता यह सुनिश्चित करेगी कि 2026 में एक बार फिर डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार बने.'