Chandrayaan 3 Moon Landing: 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग शुरू करेगा. इस दौरान 15 मिनट बेहद अहम होंगे क्योंकि उस वक्त इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के साइंटिस्ट स्पेसक्राफ्ट को कमांड नहीं देंगे और वह खुद ही सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. इतने दिनों की मेहनत इन 15 मिनट पर ही टिकी है. साल 2019 में जब चंद्रयान-2 फेल हुआ था, तो उस वक्त इसरो के अध्यक्ष के सीवान ने इसको खतरनाक समय बताते हुए 'टेरर ऑफ 15 मिनट' कहा था. 


इन 15 मिनट के दौरान चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम स्पीड के साथ हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल पोजीशन में शिफ्ट करते हुए चांद की सतह पर उतरेगा. चंद्रयान-2 की लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम हॉरिजोंटल से वर्टिकल पोजीशन स्विच करने में फेल हो गया. उस वक्त लैंडर विक्रम चांद की सतह से केवल 7.42 किमी की दूरी पर ही था और 'फाइन ब्रेकिंग फेज' में प्रवेश करने ही वाला था, लेकिन वह क्रैश हो गया.


रफ ब्रेकिंग फेज
चंद्रयान-2 के दौरान लैंडर विक्रम अपनी पोजीशन बदलने में असफल होने के कारण क्रैश हो गया था. यह प्रक्रिया इन 15 मिनट के दौरान ही होती है, जिसको ब्रेकिंग फेज कहा जाता है. पहले विक्रम 1.68 किमी प्रति सेकेंड यानी 6048 प्रति घंटा की रफ्तार से चांद की तरफ जाएगा और फिर गति को कम करके चांद की ओर होरिजोन्टल होगा, जिसको रफ ब्रेकिंग फेज कहते हैं. अब यह वर्टिकल पोजीशन में स्विच करेगा, जिसको फाइन ब्रेकिंग फेज कहते हैं और जब चांद से 800 मीटर की  दूरी पर होगा तो गति को कम करना शुरू करेगा.


इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया, 'चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग के समय लैंडिंग साइट पर दक्षिण अक्षांश से 70 डिग्री पर होगा. 5 बजकर 47 मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया के दौरान यह 90 डिग्री पर झुकेगा, लेकिन उस वक्त इसका वर्टिकल पोजीशन में होना जरूरी है. लैंडिग से पहले जब विक्रम होरिजॉन्टल से अपनी पोजीशन बदलकर वर्टिकल पोजीशन में आएगा तो  यह पड़ाव बेहद अहम होगा और इसके लिए मैथमेटिकल कैलकुलेशन सेट की जाती है.' 


सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान इन 4 फेज से होकर गुजरेगा चंद्रयान-3
रफ ब्रेकिंग, फाइन ब्रेकिंग, एल्टीट्यूड होल्ड और टर्मिनल डिसेंट- इन चार फेज से होकर गुजरते हुए चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. 25 किमी की दूरी पर 1.68 प्रति घंटे की रफ्तार से लैंडर विक्रम 690 सेकेंड दूरी तय करेगा. जब इसकी स्पीड 358 मीटर प्रति सेकेंड होगी तो रफ ब्रेकिंग फेज खत्म हो जाएगा. 10 सेकेंड के एल्टीड्ययूड होल्ड फेज के दौरान लैंडर की स्पीड 336 मीटर प्रति सेकेंड होगी. अब लैंडर विक्रम फाइन ब्रेकिंग फेज में प्रवेश करेगा और 175 सेकेंड में लैंडिंग साइट के एकदम ऊपर पहुंचेगा और 1.3 किमी की दूरी पर होवर करेगा, 12 सेकेंड के होवर के बाद मॉड्यूल चांद की ओर बढ़ेगा. 131 सेकेंड में यह लैंडिंग साइट से 150 मीटर ऊपर होगा. 22 सेकेंड के लिए वह इसी एल्टीट्यूड पर रहेगा. इसी दौरान लैंडर यह तय करेगा कि उसको कहां लैंडिंग करनी है. लैंडर पर मौजूद सेंसर्स और कैमरों की मदद से लैंडिंग के लिए सॉफ्टवेयर लैंडिंग स्पॉट फाइनल करेगा. सबकुछ ठीक रहता है तो विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग की तरफ आगे बढ़ेगा. इसके बाद इंजन बंद होने के साथ ही लैंडर विक्रम 73 सेकेंड में नीचे की तरफ उतरना शुरू करेगा और जब 10 सेकेंड बचेंगे और इंजन बंद हो चुके होंगे तो लैंडर मॉड्यूल चांद को छुएगा. चांद की सतह पर उतरने के लिए लैंडर की गति 2 मीटर प्रति सेकेंड से कम होना जरूरी है. हालांकि, लैंडर के पैर 3 मीटर प्रति सेकेंड तक की स्पीड को कंट्रोल कर सकते हैं.


क्या कहते हैं इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ?
लैंडर विक्रम 3 मीटर प्रति सेकेंड (10 किमी/घंटा) की स्पीड से भी बगैर इसके इंस्ट्र्रूमेंट्स को नुकसान पहुंचाए चांद की सतह पर उतर सकता है, लेकिन ऑप्टिमल स्पीड 2 मीटर/ सेकेंड (7.2 किमी प्रति घंटा) होनी चाहिए. 12 डिग्री झुका होने पर भी लैंडर विक्रम सुरक्षित चांद पर उतर सकता है. एस. सोमनाथ ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति इस स्पीड से गिरा तो उसकी सारी हड्डियां टूट सकती हैं, लेकिन हमारी गारंटी है कि चंद्रयान के पुर्जों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा कम स्पीड के लिए काफी मात्रा में फ्यूअल की जरूरत होती है. साथ ही 1 मीटर प्रति सेकेंड की वेलोसिटी की आवश्कता होगी. हालांकि, विक्रम 3 मीटर प्रति सेकेंड की वेलोसिट को भी हैंडल कर सकता है. एक बार लैंडर के चांद पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर उतरेगा और स्टडी शुरू करेगा.


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