Lunar Eclipse: कार्तिक पूर्णिमा यानी 8 नवंबर को साल 2022 का अंतिम चंद्र ग्रहण 2 बजकर 37 मिनट पर लगेगा. ग्रहण का सूतक काल सुबह 5 बजकर 53 मिनट से शुरू हो चुका है. जानकारी के मुताबिक, चंद्र ग्रहण 6.18 पर खत्म हो जाएगा. यह चंद्र ग्रहण इस साल का चौथा ग्रहण और दूसरा चंद्र ग्रहण भी है. इसके बाद इस वर्ष कोई ग्रहण नहीं लगेगा. लेकिन क्या आपको मालूम है कि चंद्र ग्रहण से समुद्र में कैसे लहरें आती हैं? 


हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा धरती के काफी करीब है. इसके कारण पृथ्वी की निकट-सतह, पृथ्वी के सेंटर और पृथ्वी की निचली सतह के बीच सूरज की तुलना में चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण में बहुत बड़ा अंतर है. इसका मतलब यह है कि समुद्र में आने वाली लहरों में चंद्रमा का योगदान सूरज से लगभग दोगुना है. वहीं, समुद्र में आने वाली ज्वार और भाटा लहरों पर चंद्रमा के ज्यादा प्रभाव का कारण पृथ्वी पर इसके गुरुत्वाकर्षण बल नहीं है, बल्कि यह इसलिए है क्योंकि चंद्रमा, सूरज की तुलना में धरती से ज्यादा नजदीक है.


चंद्रमा पृथ्वी के पानी को अपनी ओर खींचता है


यही सबसे बड़ा कारण है कि चंद्रमा लगातार पृथ्वी के पानी को अपनी ओर खींचता रहता है, जिससे समुद्र में बड़ी-बड़ी लहरें उठती रहती हैं. धरती और सूरज के बीच गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी-चंद्रमा के बीच के गुरुत्वाकर्षण से 177 गुना ज्यादा है. लेकिन चूंकि सूरज, चंद्रमा की तुलना में पृथ्वी से 390 गुना ज्यादा दूरी पर है, इसलिए चंद्रमा समुद्र की लहरों को अधिक नियंत्रित करता है. बता दें कि धरती से चंद्रमा की दूरी 384,400 किमी है, जबकि सूर्य की दूरी 148.23 मीलियन किलोमीटर है. 


नजदीक और दूरी के बीच का अंतर


इसके साथ ही यह नजदीक और दूरी के बीच का अंतर भी है जो लहरें बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. गुरुत्वाकर्षण ही खिंचाव की पूर्ण शक्ति नहीं, क्योंकि सूर्य के अधिक गुरुत्वाकर्षण बावजूद चंद्रमा धरती पर ज्यादा प्रभाव डालता है. समुद्र की लहरों पर सूरज का प्रभाव चंद्रमा के प्रभाव का 44 प्रतिशत है, यानी यह आधे से थोड़ा कम है. 


जब चंद्रमा धरती के एक तरफ होता है, तो यह समुद्र के पानी को तेजी से अपनी तरफ खींचता है, जिससे उंची-उंची लहरें आती हैं. चूंकि धरती अपनी धुरी पर घूमती है, इसलिए चंद्रमा हर 24 घंटे 50 मिनट में धरती की एक परिक्रमा पूरी करता है.


12 घंटे में समुद्र में दो तरह की लहरें


इसकी वजह से हम लगभग हर 12 घंटे में समुद्र में दो तरह की लहरों के देखते हैं. चंद्रमा धरती के चारों ओर चक्कर लगाता है, लेकिन यह हमेशा एक ही जगह पर हर दिन एक ही समय पर नहीं होता है. यानी कि चंद्रमा की जगह बदलती रहती है. इसलिए, हर दिन, उच्च और निम्न लहरों के समय में 50 मिनट का फर्क होता है.


जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूरज पूरी तरह से एक लाइन में होते हैं, तो सूरज और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव का योग बहुत ज्यादा हो जाता है, इसलिए समुद्र में लहरें अपने चरम पर होती हैं. जब चंद्रमा धरती और सूरज के बीच में होता है, तो हमें नया चंद्रमा देखने को मिलता है. वहीं, जब चंद्रमा सूरज से पृथ्वी के विपरीत दिशा में होता है, तो हमें पूर्ण चंद्रमा दिखाई देता है. इन दोनों ही परिस्थितियों में, समुद्र में लहरें सामान्य लहरों की तुलना में 20 प्रतिशत कम और अधिक हो जाती हैं.


 मन में क्यों उठता है ज्वार-भाटा?
चंद्रमा का प्रभाव हमारे मन और मस्तिष्क पर अधिक  रहता है. इस बात को विज्ञान भी मानता है. हमारे शरीर में जल की मात्रा लगभग 60 प्रतिशत है. पौराणिक ग्रंथ और ज्योतिष शास्त्र में मन का कारक जल को मना गया है. चिकित्सक भी मानते हैं कि जब शरीर में जल की कमी होती है तो तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्या बढ़ती हैं. तनाव को कम करने के लिए पानी पीने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. इसीलिए चंद्रमा कुंडली में जब अशुभ होता है तो ये मनुष्य के मन को प्रभावित करता है.


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