Chandigarh Mayor Polls: चंडीगढ़ मेयर चुनाव का परिणाम सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. कोर्ट ने 30 जनवरी को घोषित चुनाव परिणाम को रद्द करते हुए आप और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता घोषित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि कुलदीप कुमार को मिले 8 वोट गलत तरीके से अमान्य करार दिए गए थे.


चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने चुनाव के पीठासीन अधिकारी रहे अनिल मसीह को उनके आचरण के लिए नोटिस भी जारी किया है. जजों ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से पेश हुए मसीह ने कोर्ट में भी गलतबयानी की.


अनिल मसीह के आचरण को सुप्रीम कोर्ट ने माना संदिग्ध
30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कल 36 वोट पड़े थे  इनमें से 8 को पीठासीन अधिकारी ने अमान्य करार दिया था. बचे हुए 28 में से 12 वोट कुलदीप कुमार को मिले, जबकि 16 वोट बीजेपी के उम्मीदवार मनोज कुमार को मिले. इसके बाद मनोज कुमार को विजेता घोषित किया गया. 5 फरवरी को इस मामले को सुनते हुए जजों ने मतगणना का वीडियो देखा और पाया कि पीठासीन अधिकारी कुछ मतपत्रों पर निशान लगा रहे हैं और वह बार-बार कैमरे की तरफ भी देख रहे हैं. उनके इस आचरण को संदिग्ध मानते हुए कोर्ट ने उन्हें 19 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था.


सुप्रीम कोर्ट ने जांचे सारे रिकॉर्ड
19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अनिल मसीह ने कहा कि पार्षद बार-बार कैमरा कैमरा की आवाज लगा रहे थे, इसलिए उन्होंने उधर देखा. उन्होंने 8 मतपत्रों पर निशान लगाए, क्योंकि वह पहले से खराब थे. सुप्रीम कोर्ट में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के पास जमा मतगणना रिकॉर्ड को अपने पास तलब किया और अगले दिन सुनवाई की बात कही. आज यानी 20 फरवरी को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पूरे रिकॉर्ड को देखा.


अमान्य मतपत्रों को करार दिया वैलिड
अमान्य करार दिए गए 8 मतपत्र को देखने के बाद जजों ने पाया कि वह खराब नहीं थे. उन सभी मतपत्रों में कुलदीप कुमार को वोट दिया गया था. इस पर अनिल मसीह के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सफाई दी कि मतपत्रों को गलत तरीके से मोड गया था. इसलिए उन्हें वह खराब लगे. कुछ मतपत्र छीन-झपट में भी खराब हुए थे. लेकिन जज इस जवाब से सहमत नहीं हुए.


कोर्ट ने सीधे बदल दिया नतीजा
सुनवाई के दौरान ऐसा लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट दोबारा मतगणना का आदेश देगा, लेकिन कोर्ट ने सीधे परिणाम ही बदल दिया. फैसला देते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि वह न्याय के हित में कुलदीप कुमार को विजेता घोषित कर रहे हैं. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने अनिल मसीह को कोर्ट में गलतबयानी करने के लिए सीआरपीसी की धारा 340 के तहत नोटिस जारी किया.


अनिल मसीह को 4 सप्ताह में अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट के सामने रखना होगा. अगर जज उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए तो उनके ऊपर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा चलाने का आदेश दिया जा सकता है. मसीह के ऊपर आईपीसी की धारा 193 का मुकदमा चल सकता है, जिसमें अधिकतम 3 साल तक की सजा होती है.


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