कोरोना वायरस महामारी के दौरान मुनाफा कमाने वाले निजी अस्पतालों की अब खैर नहीं है. निजी अस्पतालों पर ज्यादा शुल्क लेने के आरोपों को देखने के लिए अप्रैल के आखिरी हफ्ते में स्वास्थ्य विभाग, केंद्र शासित प्रदेश ने दो सदस्यीय समिति का गठन किया था, जहां अब तक 30 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं. दरअसल शिकायतों में निजी अस्पतालों पर इलाज के दौरान बहुत ज्यादा चार्ज लेने का आरोप लगाया गया है


हेल्पडेस्क नंबरों और निदेशक स्वास्थ्य सेवाओं के ईमेल पर ज्यादातर दवाओं, ऑक्सीजन, बिस्तरों के लिए ज्यादा शुल्क लेने की शिकायतें मिली हैं. जिन पर अब जिला परिवार कल्याण अधिकारी और नोडल अधिकारी एक्शन ले रहे हैं. साथ ही कोविड मरीजों के इलाज के लिए पैनल में शामिल कुछ निजी अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है. जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली लागू की गई है, जहां निजी अस्पतालों को जरूरत के मुताबिक दवाएं जारी की गई हैं, क्योंकि कई निजी अस्पताल रेमडेसिवीर के लिए अधिक शुल्क ले रहे थे.


निजी अस्पतालों पर मुनाफा कमाने का आरोप


वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक रेमडेसिवीर, टोसिलिजुमैब जैसी कुछ उच्च कीमत वाली दवाओं को छोड़कर कई दवाएं पैकेज का हिस्सा थीं और अस्पतालों को इनके लिए अलग से शुल्क नहीं लेना चाहिए था, फिर भी ऐसी शिकायतें हैं जहां मरीजों से ऑक्सीजन जैसी सुविधाओं के लिए अलग से शुल्क लिया गया है और मनमाने दाम पर दवाएं दी गई हैं.


समिति ने अस्पतालों का किया निरीक्षण


समिति ने ईमेल पर मिली शिकायतों के अलावा कई अस्पतालों का औचक निरीक्षण भी किया है. वहीं एक डॉक्टर ने बताया कि सोमवार को कुछ अस्पतालों के खिलाफ शिकायत वापस ले ली गई है, क्योंकि अस्पतालों ने शिकायतकर्ताओं को अतिरिक्त राशि वापस कर दी है.


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