मुंबई: केंद्र सरकार ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट से कहा कि वह ‘मीडिया ट्रायल’ के समर्थन में नहीं है, लेकिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कानूनी और स्वयं नियामक दिशा-निर्देश पहले से मौजूद हैं. केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने समाचार प्रसारक संघ (एनबीए) की भूमिका को टीवी चैनलों के नियामक के तौर पर स्वीकार किया था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह व्यवस्था भी दी है कि मीडिया की आजादी में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.


हाई कोर्ट ने इससे पहले पूछा था कि क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सामग्री को नियंत्रित करने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था है? मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें मीडिया, खास तौर पर समाचार चैनलों को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की रिपोर्टिंग के दौरान संयमित होने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.


दिल्ली HC में बॉलीवुड के प्रमुख निर्माताओं ने लगाई है याचिका
बता दें कि बॉलीवुड के प्रमुख निर्माताओं ने हाल ही में रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी. निर्माताओं ने न्यायालय से फिल्म उद्योग के खिलाफ कथित तौर पर ‘‘गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणियां’’ करने या प्रकाशित करने से रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ को रोकने का अनुरोध किया. साथ ही उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर उनके सदस्यों का ‘मीडिया ट्रायल’ रोकने का भी आग्रह किया था.


इसमें रिपब्लिक टीवी, उसके प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी और पत्रकार प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाउ, उसके प्रधान संपादक राहुल शिवशंकर और समूह संपादक नविका कुमार और अज्ञात प्रतिवादियों के साथ-साथ सोशल मीडिया मंचों को बॉलीवुड के खिलाफ कथित तौर पर गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणियां करने या प्रकाशित करने से बचने संबंधी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.


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