Gujarat Elections News: कांग्रेस ने शनिवार को दावा किया कि केंद्र ने पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव और इसके बाद गुजरात चुनावों में हार के डर से कपड़ा उद्योग पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की योजना टाल दी है. उन्होंने कहा कि गुजरात कपड़ा उद्योग का केंद्र है.


कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा (Pawan Khera) ने नव वर्ष पर आयेाजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महंगाई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लोगों को ‘‘समृद्ध वर्ष’’ के लिए शुभकामनाएं देना झूठ होगा. उन्होंने इस साल जूतों, ऑटो से यात्रा के लिए ऑनलाइन बुकिंग, FMCG प्रोडक्ट, एटीएम सेवा शुल्क, सीमेंट, इस्पात इत्यादि जैसी उन वस्तुओं की सूची के बारे में बताया, जिनके दाम और बढ़ेंगे.


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खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को दैनिक आवश्यकताओं की सामग्रियों के दाम बढ़ाने से रोकने का एकमात्र तरीका उन्हें चुनावों में हार का स्वाद चखाना है. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार एक जनवरी से कपड़ा उद्योग पर GST बढ़ाने वाली थी, लेकिन उसने इस कदम को टालने का फैसला किया. गुजरात वस्त्र उद्योग का केंद्र है. उसने यह पांच राज्यों में आगामी चुनाव और इसके बाद गुजरात में (इस साल दिसंबर में) होने वाले चुनाव के मद्देनजर ऐसा किया.’’


खेड़ा ने कहा कि भाजपा केवल जीत और हार की भाषा समझती है और उसका लोगों की समृद्धि से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि राजस्थान (Rajasthan) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की विधानसभा सीट के उपचुनावों में जमानत जब्त होने के बाद ही केंद्र ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने विवादास्पद कृषि कानूनों को भी वापस ले लिया.


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खेड़ा ने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी ने कुछ दिन पहले कर्नाटक में शहरी निकाय चुनावों में भी हार का स्वाद चखा और इसके कारण भी कपड़ा उद्योग पर जीएसटी बढ़ाने को टालने का फैसला किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘यह संकेत साफ है. वह (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) केवल वोट, जीत और हार की भाषा जानते हैं. उनका सरकार चलाने, हमारी समृद्धि और देश में क्या होता है, उससे कोई लेना-देना नहीं है. वह हार मिलने पर ही अपनी गलती सुधारेंगे.’’


खेड़ा ने कहा, ‘‘यदि हम गलतियों को सुधारना चाहते हैं, तो हमें उन्हें हार का मुंह दिखाकर, उसी भाषा में उत्तर देना चाहिए, जिसे वे समझते हैं.’’ जीएसटी परिषद ने 17 सितंबर को फैसला किया गया था कि कपास को छोड़कर सभी कपड़ा उत्पादों पर 12 प्रतिशत की समान जीएसटी दर लागू होगी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा के बाद इस फैसले पर रोक लगा दी गई थी.