Piyush Goyal at WTO: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Minister of Commerce & Industry Piyush Goyal) विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जेनेवा (Geneva) गए हुए हैं. इस दौरान उन्होंने मछली पालन सब्सिडी (Fish Farming Subsidy) को लेकर अपनाई जा रही भेदभाव पूर्ण नीति की आलोचना की. उन्होंने मछली पालन में सब्सिडी को लेकर भेदभाव पूर्ण व्यवहार को  बदलने की बात कहते हुए कहा कि भारत इन नियमों के कारण 90 लाख से अधिक मछुआरों के परिवारों की आजीविका से समझौता नहीं कर सकता है. 


गोयल ने कहा कि मैं बहुत से देशों को अपने मछुआरों के बारे में बहुत चिंतित देखता हूं. लेकिन मछुआरों की संख्या क्या है? एक देश में 1,500 मछुआरे हो सकते हैं, दूसरे में 11,000 मछुआरे हो सकते हैं, तीसरे में 23,000 मछुआरे हो सकते हैं और फिर कहीं 12,000 मछुआरे भी हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि इस मामले में हमें अलग-अलग व्यवहार रखने की आवश्यकता है. 


क्या विकसित देशों ने छीने विकासशील देशों के अवसर?
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि अब तक की व्यवस्था के कारण विकासशील देशों के मछुआरों की आकांक्षाओं और उनकी आजीविका को पूरा करने का एक समान अवसर विकसित देशों द्वारा प्रदान नहीं किया गया है. भारत में लगभग 9 मिलियन मछुआरे और उनका परिवार सरकार की सहायता पर निर्भर है. गोयल ने आगे कहा कि छोटे पैमाने पर पारंपरिक मछुआरों को उनकी क्षमताओं का विस्तार करने के लिए अगर कोई अवसर नहीं दिया जाएगा तो ये उनके भविष्य के अवसरों को भी छीन लेगा.


डब्ल्यूटीओ से भारत को कितनी सब्सिडी मिली?
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि डब्ल्यूटीओ (WTO) भारत को मछली पालन (Fisheries) के लिए सबसे कम सब्सिडी देता है. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत में मछली पालन पौराणिक कथाओं, धर्म और संस्कृति का एक अविभाज्य अंग है. उन्होंने कहा कि मछली और जलीय संसाधनों के इस्तेमाल में भारत की भागीदारी हमेशा अनुकरणीय रही है.


National Herald Case: राहुल गांधी से ED की पूछताछ जारी, कांग्रेस बोली- सभी विपक्षी पार्टियां आएं साथ


Presidential Election 2022: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने शरद पवार से मुलाकात की, राष्ट्रपति चुनाव पर हुई चर्चा