नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन जारी है. इस वक्त सबसे बड़ा सवाल है कि जामिया में जो हिंसा हुई क्या उसके पीछे कोई बड़ी साजिश है. साजिश का सबूत जामिया से आई तस्वीरें ही दे रही हैं. ऐसी ही साजिश का सवाल पूछ रहा है 2 मिनट 17 का एक वीडियो जो कल शाम से वायरल है. इस वीडियो में भीड़ बसों पर पत्थर चलाते दिख रही है. भीड़ गालियां दे रही हैं और कह रही है कि भारत सरकार की संपत्ति को नुकसान पहुंचाओ. आखिर ये लोग कौन हैं जो हेल्मेट पहनकर हाथ में डंडे और पत्थर लेकर देश के दुश्मन बने हुए हैं.


2 मिनट 17 सेकेंड के इस वीडियो के शुरू होते ही शीशे टूटने की आवाजें सुनाई देती हैं. भीड़ का शोर सुनाई देता है और लगातार सरकारी बसों पर पत्थर और डंडों से हो रही चोट की आवाजें आती हैं. सड़क के एक तरफ रुका हुआ ट्रैफिक है और दूसरी तरफ प्रदर्शनकारियों की भीड़ हिंसा पर उतरी हुई है.


सरकारी बसों को तोड़ने की मानो होड़ मची है. एक के हाथ से डंडा लेकर दूसरा बस पर वार करने लगता है. जैकेट पहने एक शख्स शीशे तोड़ने वाले के पास पहुंचा और उसके हाथ से डंडा लेकर दूसरी बस के शीशे तोड़ने लगा. जिसके हाथ जो लग रहा है वो उसी से ही सरकारी बसों को बर्बाद कर रहा है. वीडियो में लगातार भद्दी गालियां दी जा रही हैं और इन गालियों के साथ भारत सरकार की संपत्ति को बर्बाद करने की अपील की जा रही है.


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टीशर्ट और व्हाइट जींस में मौजूद शख्स लगातार भारत सरकार की गाड़ियों को नुकसान पहुंचाने की अपील करता दिख रहा है. वहीं एक दूसरा शख्स कुर्ता पायजमा और हाफ जैकेट पहने दिखता है. देश की आम जनता की खून पसीने की कमाई से बनी इन सरकारी बसों को तोड़ते समय इनके हाथ नहीं कांप रहे लेकिन किसी को इनका चेहरा ना दिखाई दे इसके लिए सिर पर हेल्मेट जरूर पहन रखा है.


प्रदर्शनकारियों में और भी लोग थे जो हेल्मेट से अपना चेहरा छिपाए हुए थे. वीडियो में एक पल के लिए भी तोड़फोड़ की आवाजें आना रुकती नहीं है. बसों पर पत्थर और डंडे लगातार बरस रहे हैं लेकिन एक मिनट 59 सेकेंड के वीडियो पर एक आवाज सुनाई देती है तो बताती है कि प्रदर्शन को उग्र बनाने के लिए कैसे साजिश की जाती है.


प्रदर्शन को और ज्यादा हिंसक बनाने के लिए अफवाह फैलाई जा रही थी. भीड़ को भड़काने के लिए झूठ बोला जा रहा था कि पुलिस ने तीन लोगों को गोली मार दी है जबकि सोमवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही पुलिस साफ कर चुकी थी गोली नहीं चली और पुलिस कार्रवाई में भी किसी की जान नहीं गई है.


वीडियो का एक झूठ तो बेनकाब हो चुका है लेकिन सवाल ये है कि वीडियो में दिख रहे ये लोग कौन है? क्या ये जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र हैं या फिर गलत एजेंडे के साथ छात्रों की भीड़ में शामिल हुए कुछ लोग हैं? वीडियो खत्म होता है तो फिर एक आवाज आती है, ''वीडियो मत बनाओ यार, प्लीज यार वीडियो मत बनाओ.''


लेकिन वीडियो बन चुका था और देश के सामने भी आ चुका था. अब बारी थी वीडियो की पड़ताल की. एबीपी न्यूज़ ने सबसे पहले इस वीडियो की फॉरेंसिक तरीके से जांच की. कहीं वीडियो के ऑडियो के साथ कोई छेड़छाड़ तो नहीं हुई. कहीं दो वीडियो को आपस में मिलाकर नया वीडियो तो नहीं बना दिया गया. एबीपी न्यूज संवाददाता इंद्रजीत राय जो एक फॉरेंसिक क्रिमिनोलॉजिस्ट भी हैं, उन्होंने जांच में क्या मिला इसके बारे में बताया.


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इंद्रजीत राय ने बताया कि वीडियो से छेड़छाड़ नहीं हुई है. इस बात की संतुष्टि करने के बाद ये पता लगाया कि वीडियो किस जगह का है. ये वीडियो रविवार शाम 4.30 बजे के करीब दिल्ली के मथुरा रोड का है. जांच में ये पता नहीं चल पाया कि सरकारी बसों को नुकसान पहुंचाने वाले ये लोग कौन हैं? लेकिन सवाल का जवाब देने वाला एक वीडियो दिल्ली पुलिस ने जारी किया है. ये वीडियो रविवार शाम का है जब दिल्ली के ज्वाइंट सीपी देवेश श्रीवास्तव छात्रों से लगातार ये अपील कर रहे थे कि वो पुलिस पर पत्थर ट्यूबलाइट और बोतल फेंकना बंद करें.


ये दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नंबर सात और आठ के बीच की जगह है. जब सिर पर हेल्मेट लगाकर ज्वाइंट सीपी अपनी फोर्स के साथ मौजूद थे और हर तरीके से ये कोशिश कर रहे थे कि पुलिस को बल प्रयोग ना करना पड़े. पुलिस ने भी कहा कि छात्रों के बीच कुछ गलत लड़के मौजूद हैं पुलिस अपील कर रही थी कि छात्र गलत लोगों के बहकावे में ना आएं लेकिन अपील का कोई असर नहीं हुआ.


पूरे वीडियो में लगातार ट्यूबलाइट के हमलों की आवाज सुनाई दे रही है पत्थर फेंके जा रहे हैं और वीडियो खत्म होते होते देवेश श्रीवास्तव पीछे हटते हैं और स्थिति को देखते हुए वहां और फोर्स मंगाने की बात करते हैं. जब पुलिस की अपील के बावजूद हमले नहीं रुके तो पुलिस जामिया कैंपस में घुसी. इसके पहले तक पुलिस जामिया यूनिवर्सिटी के अंदर नहीं घुसी थी.


पुलिस के इस वीडियो से साफ है कि जामिया यूनिवर्सिटी के अंदर और बाहर छात्रों के बीच कुछ गलत लोग भी मौजूद थे. इसका मतलब ये हुआ कि वायरल वीडियो में जो भीड़ सरकारी बसों को नुकसान पहुंचाती हुई दिख रही है वो जामिया यूनिवर्सिटी के छात्र नहीं भी हो सकते हैं. वो छात्रों की भीड़ में मौजूद कुछ अराजक तत्व हो सकते हैं और वो छात्र भी हो सकते हैं.