नई दिल्लीः शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद का बजट सत्र हंगामेदार रहना तय है. देशभर में नागरिकता कानून और एनआरसी के मुद्दे पर जो बवाल चल रहा है उससे बजट सत्र भी अछूता नहीं रहने वाला है. इसकी बानगी आज सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में साफ़ देखने को मिली.

कांग्रेस ने सरकार पर लगाया आरोप कांग्रेस और टीएमसी समेत सभी विपक्षी दलों ने बैठक में सबसे प्रमुखता से इसी मुद्दे को उठाया. कांग्रेस की ओर से राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बैठक के बाद सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन को लेकर सरकार का रवैया निंदनीय है. आज़ाद ने सरकार से तुरन्त विरोध करने वाले लोगों से बात करने की मांग की.

सरकार ने कहा - चर्चा को तैयार बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक़ उन्होंने सभी दलों की बात तो सुनी लेकिन अपनी तरफ़ से कुछ नहीं कहा. सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष से कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है. बैठक के बाद जोशी ने सरकार की ओर से अपील करते हुए नागरिकता क़ानून पर लोगों से प्रदर्शन खत्म करने को कहा. जोशी ने दोहराया कि कानून से किसी की नागरिकता जाने का सवाल ही नहीं है. जोशी ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें भी अपनी ज़िम्मेदारी समझनी होगी.

1 फरवरी को पेश होगा आम बजट बजट सत्र का सबसे प्रमुख आकर्षण 1 फरवरी को पेश होने वाला आम बजट होगा. देश की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था के मद्देनज़र इसे बेहद अहम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बजट में कई कदमों का ऐलान तो होगा ही , करदाताओं को भी कुछ राहत मिल सकता है. इसके अलावा सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का संयुक्त सत्र को दिए जाने वाले अभिभाषण पर भी सबकी नज़र रहेगी. अभिभाषण में राष्ट्रपति न सिर्फ अगले साल के लिए मोदी सरकार के एजेंडे को देश के सामने रखेंगे बल्कि 2024 तक का विजन भी सबके सामने रखा जाएगा. दो भागों में चलने वाले सत्र का पहला भाग 31 जनवरी से 11 फरवरी तक जबकि दूसरा भाग 2 मार्च से 3 अप्रैल तक होगा.