एम्स दिल्ली में 'ब्लैक फंगस' संक्रमण के 20 से ज्यादा मामले रोजाना दर्ज किए जा रहे हैं. ये कहना है कि न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर एमवी मका. उन्होंने बताया कि पहले नंबर सिंगल अंक में होते थे. लेकिन हर एक दिन अब संक्रमण के 20 से ज्यादा मामले उजागर हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस डायबिटीज, अधिक स्ट्रेरॉयड इस्तेमाल करनेवाले और कमजोर इम्यूनिटवी वालों में होता था, लेकिन इस संख्या में कभी नहीं.


एम्स दिल्ली में रोजाना ब्लैक फंगस के 20 मामले 


उन्होंने कहा, "हमने म्यूकर वार्ड अलग से एम्स दिल्ली, एम्स ट्रॉमा सेंटर और एम्स झज्जर में बनाया है." अगर कोविड-19 के मरीज को डायबिटीज है, तो शुगर लेवल सख्ती से नियंत्रित किया जाना चाहिए और स्ट्रेरॉयड का तार्किक इस्तेमाल होना चाहिए. श्रीवास्तव ने आगे बताया, "ब्लैक फंगस के मामले दो महीना पहले सामने आने लगे और गुजरात, महारास्ट्र जैसे सूबों में अब तक 18 सौ से ज्यादा नए मामले उजागर हो चुके हैं.


अब, दिल्ली में मामलों की अधिक संख्या देखी जा रही है और ज्यादातर उन लोगों में है जिन्होंने स्ट्रेरॉयड का अधिक डोज इस्तेमाल किया है या डायबिटीज हैं." देश भर के मैक्स अस्पताल में ब्लैक फंगस संक्रमण के 50 मामले सामने आ चुके हैं और अकेले दिल्ली में संख्या 25 है. डॉक्टर पदमा के मुताबिक, "कोविड-19 स्ट्रेन भी वजह हो सकता है और हमें जिनोम सिक्वेंसिंग करने की जरूरत है ताकि इस बीमारी को ज्यादा समझा जा सके."


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लोगों में ये दुर्लभ संक्रमण फफूंद के कारण होता है


गंगाराम अस्पताल के चेयरपर्सन डॉक्टर राणा ने जानकारी दी कि अस्पताल में करीब-करीब 48 ब्लैक फंगस के मरीज हैं और 16 वेटिंग लिस्ट पर हैं. दुर्लभ फंगल संक्रमण को 'म्यूकॉरमायकोसिस' या ब्लैक फंगस कहा जाता है और दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में मामले बढ़ रहे हैं.  स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, ब्लैक फंगस फंगल संक्रमण की वजह से जटिल होता है. लोगों में ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्ज़ियों में पनपता है. ये खरोंच, चोट, जलन के जरिए स्किन में फंगस स्किन में दाखिल होने के बाद स्किन पर भी हो सकता है. इसके लक्षणों में चेहरा का सुन्न पड़ जाना, आधे चेहरे पर सूजन आ जाना, दांतों में दर्द होना और दांत गिरना शामिल हैं. इसके अलावा बुख़ार, दर्द, त्वचा में दाने आने, थ्रॉम्बोसिस के साथ-साथ आंखों को धुंधला दिखना, छाती में दर्द और सांस लेने में दिक्कत भी हो सकती है.