दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. सिसोदिया ने कहा, इन्हें कश्मीर फाइल्स से प्यार है, हमें कश्मीरियों से प्यार है. अटल जी या जगमोहन के समय जो भी हुआ, वो बीते दिनों की बात है. लेकिन 8 साल से केंद्र में बीजेपी की सरकार है, फिर भी कश्मीरी पंडितों को विस्थापित होकर क्यों रहना पड़ रहा है.


उन्होंने आगे कहा, कश्मीरी पंडित चाहते हैं कि उनका दर्द देश समझे लेकिन वह यह नहीं चाहते कि उनके दर्द को 200 करोड़ में बेचा जाए. फिल्म ने 200 करोड़ कमा लिए हैं, तो यूट्यूब पर डाल दें, जिससे त्रिलोकपुरी और कोंडली में रहने वाले आम लोग भी उनके दर्द को समझें. बीजेपी को कश्मीर फाइल्स की चिंता है और हमें कश्मीरी पंडितों की चिंता है. 


सिसोदिया ने हमला बोलते हुए कहा, वो केवल कश्मीर फाइल्स चिल्लाते हैं. बीजेपी ने आठ साल में कश्मीरी पंडितों के लिए क्या किया? बीजेपी कश्मीरी पंडितों को लेकर पूरी तरह फेल रही. फिल्म ने जो 200 करोड़ रुपये की कमाई की है, उसे कश्मीर पंडितों के वेलफेयर्स संगठनों को दिया जाए. बीजेपी ने 200 करोड़ में कश्मीरी पंडितों के दर्द को बेचने का काम किया है.


मैं खुद फिल्म देखूंगा-सिसोदिया


मनीष सिसोदिया ने आगे कहा, यह अच्छी बात है कि इस मुद्दे पर फिल्म बनी. बजट से फ्री होकर मैं खुद इस फिल्म को देखूंगा.  मैं कश्मीर गया हूं. उनका दर्द देखा है, फिर से उसे मैं देखना चाहूंगा. लेकिन अब फिल्म ने 200 करोड़ कमा लिए, अब उसे यूट्यूब पर डाल दो. 200-400 रुपये का जो टिकट होगा, मैं खुद लेकर वो फ़िल्म देखने जाऊंगा. लेकिन अब वो 200 करोड़ कश्मीरी पंडितों को दे दो, जिनके घर, जिनके सेब के बागान उजड़ गए. BJP और उस प्रोड्यूसर से मेरी हाथ जोड़कर अपील है कि अब कमाई का धंधा हो गया, तो उसे यूट्यूब पर डाल दो ताकि सबलोग देख सकें.


दिल्ली के डिप्टी सीएम ने आगे कहा, मैं आप नेता सौरभ भारद्वाज के प्रस्ताव का पूरा समर्थन करता हूं. इसकी घोर निंदा की जानी चाहिए, जो 8 साल से कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के मुद्दे पर राजनीति हो रही है. 32 साल से चल रहा उनका विस्थापन खत्म नहीं हुआ. 32 साल में उनकी तीसरी पीढ़ी खड़ी है आज, लेकिन वे अपनी तीसरी पीढ़ी को भी कश्मीर जाकर वो घर नहीं दिखा सकते, जहां वे रहा करते थे. आज दिल्ली के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में कश्मीरी पंडित रहते हैं. उनके लिए कैसे काम किया जाता है यह अरविंद केजरीवाल से सीखिए. 


उन्होंने बताया, '250 कश्मीरी टीचर्स कॉन्ट्रैक्ट पर थे, उनकी समस्या सुनकर तुरंत अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर कैबिनेट में फैसला लेकर उन्हें स्थायी किया गया. बिना सर्टिफिकेट या बिना कुछ पूछे उन सबको परमानेंट किया गया. इस देश की जिम्मेदारी है कि जो जख्म कश्मीरी पंडितों ने सहा है, उन्हें पूरा देश मिलकर भरे. एक कश्मीरी पंडित महिला टीचर को रिटायरमेंट के बाद पेंशन नहीं दी जा रही थी. सर्विस डिपार्टमेंट (जो एलजी के पास है) ने कहा कि सर्टिफिकेट लाओ. हम इस समस्या को लेकर अरविंद केजरीवाल के पास गए. उन्होंने निर्देश दिया कि यह मानकर कि बारापुला में उनके सर्टिफिकेट जल गए थे और उस आधार पर उनका पेंशन बहाल हुआ.'


ये भी पढ़ें


हाथापाई, सस्पेंशन और निष्कासन... दिल्ली से बंगाल तक दिनभर विधानसभा में ऐसे होता रहा बवाल



चंडीगढ़ पर केंद्र सरकार के फैसले के बाद बोले सीएम भगवंत मान- पंजाब लड़ता रहेगा लड़ाई