भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद जामयांग नामग्याल ने सोमवार को कहा कि संसद में जम्मू-कश्मीर (Jammu Kamshir) के लिए बजट पेश करने के साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) और अक्साई चीन के लिए प्रतीकात्मक बजट लाया जाना चाहिए. उन्होंने लोकसभा में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर को जन्नत बनाने और ‘जम्हूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत’ को जमीन पर उतारने का काम कर रहे हैं.


लद्दाख से लोकसभा सदस्य ने विपक्षी सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कुछ विपक्षी सांसद कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर का बजट हिंदुस्तान की संसद में क्यों पेश हो रहा है? अगर जम्मू-कश्मीर का बजट भारत की संसद में नहीं आएगा तो फिर क्या पाकिस्तान की संसद में बजट आएगा?’’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में निर्वाचित सरकार अभी नहीं है, इसलिए वहां के बजट पर यहां चर्चा हो रही है.


प्रतीकात्मक बजट की मांग


नामग्याल ने कहा कि पीओके और अक्साई चीन लिए भी एक प्रतीकात्मक बजट होना चाहिए. भाजपा सांसद ने कहा कि जम्मूरियत, कश्मीरियत और इंसानियत को जमीन पर उतारने का काम नरेंद्र मोदी ने किया है. उन्होंने कहा कि फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ ने कड़वी सच्चाई दिखाई है, उस पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए, बल्कि उसे कर मुक्त करके पूरे देश में दिखाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मोदी जी फिर से कश्मीर को जन्नत बनाने का काम कर रहे हैं. जनता दल यूनाइटेड के सुनील कुमार पिंटू ने भी कहा कि अगले वर्ष जब जम्मू कश्मीर का बजट लाया जाए तो उसमें पीओके के विकास के लिए भी उल्लेख होना चाहिए. चर्चा में भाग लेते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि बजट में कश्मीरी पंडितों के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है?


यह बात हो गई पुरानी


उन्होंने सत्तापक्ष की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘60 साल में कुछ नहीं किया, यह संवाद पुराना हो गया. अब कुछ नया करिये. सात साल का समय कुछ करने के लिए बहुत होता है.’’ बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले कोई विधेयक आता था तो उसमें लिखा होता था कि यह जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होगा, लेकिन अब ऐसा नहीं होता.


इस बात पर होना चाहिए गर्व


महताब ने कहा कि जब जम्मू कश्मीर और लद्दाख की बात होती है तो हम बाल्टिस्तान और गिलगिट क्यों भूल जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘संविधान में प्रतिबद्धता के अनुसार इस संसद में हमारी दो सीटें खाली हैं. इस पर कभी बात नहीं होती.’’ उन्होंने साफ किया कि जब पीओके की बात होती है तो यह वो हिस्सा है जो भारत से पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. महताब ने कहा कि आज देश में एक राष्ट्र, एक संविधान और एक झंडे की अवधारणा को लागू किया जा रहा है, जिस पर हर भारतीय को इस पर गौरव होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण इलाकों के विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए.


ओवैसी ने लगाया ये आरोप


एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को यहां से कठपुतली की तरह चलाना चाहती है. उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद केंद्रशासित प्रदेश में कितना निवेश हुआ है. आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य नहीं होने का मतलब यह है कि केंद्र सरकार विफल रही है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए.


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