Pashupati Kumar Paras On Chirag Paswan: केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने रविवार को जोर देकर कहा कि वह अपने बड़े भाई और दिवंगत नेता रामविलास पासवान के ‘राजनीतिक उत्तराधिकारी’ हैं, जबकि उनके बेटे चिराग पासवान ‘केवल’ दिवंगत भाई की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं.

पशुपति पारस ने यह टिप्पणी मीडिया की तरफ से उनके और चिराग के बीच रिश्तों के बारे में पूछे गए सवाल पर की. बता दें कि दोनों के रिश्तों में दो साल पहले उस समय तल्खी आ गई थी जब पारस ने बगावत का झंडा उठा लिया था और उनके बड़े भाई की ओर से स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का विभाजन हो गया था.

इस वजह से बताया खुद को रामविलास का उत्तराधिकारी

रामविलास पासवान की पारंपरिक लोकसभा सीट हाजीपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे पारस ने कहा, ‘‘मैं बता सकता हूं कि कैसे मैं ‘बड़े साहेब’ का राजनीतिक उत्तराधिकारी हूं. उन्होंने (रामविलास पासवान) चुनावी करियर की शुरुआत 1969 में बिहार की अलौली सीट के विधायक के तौर पर की और वर्ष 1977 में हाजीपुर से सांसद बनने के लिए आलौली सीट छोड़ दी. उन्होंने मुझे इस विधानसभा सीट से लड़ने को कहा और उनके आदेश के बाद मैं उक्त सीट से जीता, जबकि तब मैं सरकारी नौकरी कर रहा था.’’

रामविलास पासवान के कहने पर ही दिल्ली का रुख किया

पशुपति कुमार पारस ने 2019 लोकसभा चुनाव में संसदीय पारी तब शुरू की थी जब उनके भाई ने राज्यसभा का सदस्य बनने का फैसला किया. पारस ने दावा किया ‘बड़े साहेब’ के कहने पर उन्होंने दिल्ली का रुख किया जबकि वह खुद इसके लिए इच्छुक नहीं थे. उन्होंने कहा, 'मैं शुरू में तैयार नहीं था. यहां तक मैंने बेटे (चिराग) या भाभीजी (चिराग की मां) को हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ाने पर विचार करने का अनुरोध किया था.’

चुनाव के दौरान भी जताई थी अपनी अनिच्छा

पारस ने कहा, ‘‘मैं बिहार में अच्छा समय बिता रहा था. नीतीश कुमार सरकार में मंत्री था और लोजपा की राज्य इकाई का अध्यक्ष था, लेकिन ‘बड़े साहेब’ ने जोर दिया. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बड़ी लहर ने गति नहीं पकड़ी थी और उनका मानना था कि केवल मैं इस सीट पर पार्टी की जीत कायम रख सकता हूं. मैंने चुनाव अभियान के दौरान भी अपनी अनिच्छा छिपाई नहीं.’’

ये भी पढ़ें

संसद में शायरीः जब शेर पढ़कर केंद्रीय मंत्री ने दिया था इस्तीफा; सुषमा ने मनमोहन से पूछा था- बता काफिला क्यूं लुटा?