बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीत एनडीए स्पष्ट बहुमत की ओर अग्रसर है. बीजेपी, जेडीयू, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के गठबंधन को बिहार में 125 सीटें मिली हैं. बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार पर भरोसा जताया है. बिहार के लोगों ने विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को बहुमत दिया है. नीतीश कुमार लगातार चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. आइये जानते हैं 15 वर्षों के दौरान नीतीश कुमार के कामों की उपलब्धियां:


1-थ्री सी  


नीतीश कुमार सरकार ने जब बिहार में पहली बार सत्ता संभाली थी तो वहीं पर अपराध, भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता का माहौल था. उनकी सरकार ने बीते 15 वर्षों के दौरान ना सिर्फ शहाबुद्दीन जैसे बड़े खूंखार अपराधियों को सलाखों के अंदर भेजा बल्कि काफी हद तक लूट और फिरौती जैसी वारदातों को रोकने में उन्हें कामयाबी मिली. हालांकि, नौकरशाह में भ्रष्टाचार का आरोप उनकी सरकार पर भी खूब लगा है.


 2- सड़क, बिजली


ये सच है कि नीतीश कुमार के पहली बार सत्ता में आने से पहले बिहार की सड़कें बदहाल और जर्जर थीं. उन्होंने सड़कों निर्माण को खास प्राथमिकता दी. नीतीश कुमार का दावा किया कि सड़क मरम्मत के लिए भी नीति बनी है. हालांकि, पहले पांच वर्षों के दौरान सड़का पर नीतीश सरकार की तरफ से जो काम किया गया, बाकी के दस वर्षों के दौरान वैसी सक्रियता गायब दिखी. उनकी एक बड़ी उपलब्धि ये भी रही कि उनके इस कार्यकाल के दौरान गांव-गांव न सिर्फ बिजली पहुंची है बल्कि आज गांव के बच्चे लालटेन की जगह बिजली की रोशनी में पढ़ रहे हैं.


3- सुशांत केस की सीबीआई जांच की सिफारिश


बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत का शव बांद्रा स्थित उनके फ्लैट में 14 जून को पंखे से लटका हुआ मिला. सुशांत के पिता के.के. सिंह ने उनकी मौत के लिए सुशांत की गर्ल्फ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उसके भाई शौविक चक्रवर्ती को कसूरवार ठहराया. मुंबई पुलिस ने बिहार पुलिस की जांच में अड़ंगा लगाया तो नीतीश की सरकार ने सुशांत के पिता की मांग पर बिना देर किए केन्द्र सरकार से सुशांत के मामले पर सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. देशभर की नजर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के कारणों पर लगी हुई थी.


 4-रोजगार


मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने करीब 1 लाख से ज्यादा स्कूल शिक्षकों की भर्तियां कीं. नीतीश कुमार ने 2020 चुनाव में पेश अपने रिपोर्ट कार्ड में दावा किया है कि उनकी सरकार ने पिछले 15 वर्षों के दौरान करीब 6 लाख लोगों को रोजगार दिया है. एक सच ये भी है कि नीतीश कुमार जब पहली बार सत्ता में आए थे तो उन्हें बड़ी तादाद में शिक्षकों की भर्ती की थी. उनकी कोशिश थी की शिक्षा में आमूल-चूल बदलाव लाया जाए. हालांकि, शिक्षक की ट्रेनिंग वैसी नहीं थी और नीतीश को अपने इस लक्ष्य में आशातीत सफलता नहीं मिली.


 उन्होंने लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासन से तुलना करते हुए कहा कि उस दौरान सिर्फ 95,734 ही नौकरियां दी गई थीं. हालांकि, एक हकीकत ये भी है कि जितना रोजगार देना का नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं, जमीनी स्तर पर पिछले राज्यों के लिए इन आंकड़ों का कोई खास महत्व नहीं है क्योंकि वह ऐसा पिछड़ा राज्य है, जहां पर सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए रोजगार का सृजन करना और पलायन को रोकना है.


5-लड़कियों की शिक्षा पर जोर


नीतीश कुमार ने लड़कियों की शिक्षा पर खास जोर दिया. लड़कियों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बिहार सरकार ने साल 2007 में मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ रहीं, आठवीं पास करके नवीं क्लास में पहुंचने वाली सभी लड़कियों को साइकिल देने का ऐलान किया था. इसके लिए 2,500 रुपए लड़कियों को दिए जाते थे. पहले ये रकम स्कूलों में कैंप लगाकर दी जाती थी लेकिन बाद में लड़कियों के बैंक अकाउंट खुलवाकर ये रकम अकाउंट में जाने लगी. साल 2018-19 में ये रकम बढ़ा कर 3,000 रुपए कर दी गई.


6-बिहार में शराबबंदी


साल 2015 में महागठबंधन की जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से किया शराबबंदी का वादा निभाया और राज्य में शराब को बैन करने की घोषणा कर दी. नीतीश ने घरेलू हिंसा और पारिवारिक में बढ़ती कलह के लिए शराब की बढ़ती लत को ज़िम्मेदार बताया. इसके अलावा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, शोषण और ग़रीबी के लिए भी शराब की लत को एक बड़ा कारण बताया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बाद बिहार में शराब पर प्रतिबंध बिहार निषेध एवं आबकारी अधिनियम के तहत लागू किया गया जो 1 अप्रैल 2016 से शुरू हुआ. क़ानून का उल्लंघन करने पर कम से कम 50,000 रुपये जुर्माने से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान है.


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