Bihar Caste Survey Report: बिहार की नीतीश कुमार सरकार की ओर से सोमवार (2 अक्टूबर) को राज्य के जातिगत सर्वे के आंकड़े जारी किए जाने पर राजनीतिक घमासान मचा है. आंकड़ों के मुताबिक, बिहार की 13.07 करोड़ से कुछ ज्यादा की आबादी में सबसे ज्यादा संख्या अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और दूसरे नंबर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की हैं. दोनों को मिलाकर कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 63 फीसदी है. 


आंकड़ों को बिहार सरकार एक अहम उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है और इसे लेकर संभावनाएं तलाश रही है. कांग्रेस ने जाति सर्वे का समर्थन किया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि देशभर के आंकड़े जानना जरूरी है तो वहीं बीजेपी ने कहा है कि सर्वे आधा-अधूरा है. वहीं, पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर की अपनी एक चुनावी रैली से इशारों में विपक्ष पर तंज कसा है कि वो पहले भी जाति-पाति के नाम पर समाज को बांटते थे, आज भी वही कर रहे हैं. 


जाति आधारित गणना के आंकड़ों पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर बीजेपी नेता सुशील मोदी तक और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से लेकर पीएम मोदी तक, किसकी क्या प्रतिक्रिया रही, आइये जानते हैं बड़ी बातें.


राहुल गांधी बोले- देशभर के आंकड़े जानना जरूरी


बिहार के जाति सर्वे के आंकड़े को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ''बिहार की जातिगत गणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं! इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है. जितनी आबादी, उतना हक - ये हमारा प्रण है.''


पीएम मोदी ने कसा ये तंज


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाति सर्वे की रिपोर्ट पर इशारे में तंज कसते हुए विपक्ष पर हमला बोला. उन्होंने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ''...विकास विरोधी लोगों को देश ने छह दशक दिए थे, 60 साल कोई कम समय नहीं होता है, अगर नौ साल में इतना काम हो सकता है तो 60 साल में कितना हो सकता था, उनके पास भी मौका था, वो नहीं कर पाए, ये उनकी नाकामी है, वो तब भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे, आज भी वही खेल खेल रहे हैं. वो तब भी जाति-पाति के नाम पर समाज को बांटते थे, आज भी वही पाप कर रहे हैं...''


नीतीश कुमार का बीजेपी पर हमला


बिहार सीएम नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ''वो लोग (बीजेपी) क्या करते हैं, कोई मतलब नहीं है. किसी चीज को कर रहे हैं... मुस्लिम हो कि हिंदू हो, किसी के लिए कोई काम हो रहा है? मुस्लिम के खिलाफ तो हैं ही लेकिन हिंदुओं का कोई काम हो रहा? आप जरा बताइये तो क्या काम किए शेड्यूल कास्ट का, क्या काम किए शेड्यूल ट्राइब का, अति पिछड़ा को अभी भी मान्यता दिए हैं पूरे देश में? पिछड़ा ही न है, अति पिछड़ा तो बिहार में है. इसीलिए उनको क्या आइडिया है, कोई आइडिया है?''


बिहार बीजेपी प्रमुख सम्राट चौधरी बोले- ...लेकिन ये आधा-अधूरा है


बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने रिपोर्ट को आधा-अधूरा करार दिया और लालू यादव पर वोट बैंक की राजनीति करने आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ''नीतीश कुमार की सरकार को मैंने कहा ही था की सर्वे जारी करें लेकिन यह आधा-अधूरा है.'' इसी के साथ उन्होंने कहा, ''लालू जी की आदत ही रही है की जातीय वैमनस्य फैलाया जाए और वोट बंटोरे जाए. बीजेपी ने ही मंडल कमिशन की सिफारिशों को लागू किया था. बीजेपी ने ही मंडल और कमंडल को लागू किया था. बीजेपी केवल एक ही एजेंडे पर चलती है और वह है विकास.''


जातीय गणना कराने का निर्णय बीजेपी सरकार ने किया था- सुशील मोदी


बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने X पर लिखा, ''जातीय गणना कराने का निर्णय बीजेपी सरकार ने किया था. आज बिहार सरकार ने आंकड़ा सार्वजनिक किया है. बीजेपी आंकड़ों का अध्ययन कर रही है.''


जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो- लालू यादव


बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने एक्स पर पोस्ट किया, ''आज गांधी जयंती पर इस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं. बीजेपी की अनेकों साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम षड्यंत्र के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे को रिलीज किया.''


उन्होंने लिखा, ''सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो. हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो. केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सता से बेदखल करेंगे.''


हम लोगों का कमिटमेंट था ये कराने का- तेजस्वी यादव


बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा, ''हम लोगों की शुरू से ही ये मांग रही है. सड़क से संसद तक हम लोगों संघर्ष किया था, जातीय जनगणना हम लोग चाहते थे लेकिन बिहार में जाति आधारित गणना हम लोगों ने कराई है... कम समय में हम लोगों ने जानकारी इकट्ठा भी की है और आज ऐतिहासिक दिन पर ऐतिहासिक काम हम लोगों ने किया है, जारी किया.''


उन्होंने कहा, ''आप सब लोग जानते होंगे कि कितनी बार अड़चनें-बाधाएं पैदा करने की कोशिश की गई बीजेपी की ओर से. जब हम डेटा विरोधी दल थे तभी सदन में हमने प्रस्ताव रखा था और माननीय मुख्यमंत्री जी का बड़प्पन था कि उस समय एक ऑल पार्टी कमेटी के साथ प्रधानमंत्री के पास हम लोग गए थे... दूसरा ये प्रस्ताव रखा था कि प्रधानमंत्री जी अगर नकार देते हैं, मना कर देते हैं तो बिहार सरकार अपने बलबूते ये चीज कराए. आप देखिए कि प्रधानमंत्री जी ने नकार दिया, लोकसभा में नकारा गया, राज्यसभा नकारा गया लेकिन जो हम लोगों का कमिटमेंट था ये कराने का वो हम लोगों ने किया...''


...आबादी तो बहुत है पर उनके साथ हकमारी की जा रही है- जीतन राम मांझी


एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संरक्षक और बिहार के पूर्व सीएम जीतन मांझी ने जाति सर्वे के आंकड़ों में पर बड़ा बयान दिया. उन्होंने एक्स पर लिखा, ''बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आ चुकी है. सूबे के SC/ST, OBC, EBC की आबादी तो बहुत है पर उनके साथ हकमारी की जा रही है. मैं माननीय नीतीश कुमार जी से आग्रह करता हूं कि राज्य में आबादी के प्रतिशत के हिसाब से सरकारी नौकरी/स्थानीय निकायों में आरक्षण लागू करें, वही न्याय संगत होगा.''


क्या हैं जाति सर्वे के आंकड़े?


बिहार की आबादी 13.07 करोड़ से कुछ ज्यादा है. जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 फीसदी है. बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह की ओर जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में सबसे ज्यादा ईबीसी (36 प्रतिशत) की हिस्सेदारी है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है.


ओबीसी में आने वाला यादव समुदाय बिहार की आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा समुदाय है. प्रदेश में कुल 14.27 प्रतिशत यादव हैं. अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है. वहीं, अनारक्षित श्रेणी से संबंधित लोग राज्य की कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत हैं. राज्य में हिंदू समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम समुदाय 17.70 प्रतिशत है.  ईसाई, सिख, जैन और अन्य धर्मों का पालन करने वालों के साथ-साथ किसी धर्म को न मानने वालों की भी बहुत कम उपस्थिति है, जो कुल आबादी का एक प्रतिशत से भी कम है. 


लोकसभा चुनाव से पहले क्यों हैं ये आंकड़े अहम?


बिहार सरकार की ओर से राज्य के जाति सर्वे के आंकड़े ऐसे वक्त जारी किए गए हैं जब लोकसभा चुनाव 2024 में अब अनुमान के मुताबिक लगभग आठ महीने का समय रह गया है. बिहार सरकार हो या कांग्रेस, उनके नेताओं की ओर से यह आवाज उठाई गई है कि जिस जाति की जितनी आबादी है, उसे उतना हक मिलना चाहिए. माना जा रहा कि लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी नीत केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हुआ विपक्ष इस सर्वे के आंकड़ों को एनडीए के खिलाफ एक अहम हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हुए जनता का ध्यान अपने पाले में खींचने से पीछे नहीं रहेगा. इसीलिए लोकसभा चुनाव से पहले जारी हुए ये आंकड़े अहम माने जा रहे हैं.


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