नई दिल्ली: टाटा समूह की कंपनी टाटा संस (Tata Sons) में जल्द एक बदलाव देखने को मिल सकता है. दरअसल, ये बदलाव लीडरशिप स्ट्रक्चर में होने की उम्मीद जतायी जा रही है. टाटा संस जो 106 बिलियन डॉलर के सॉल्ट-टू-सॉफ्टवेयर समूह का मालिक है वो कॉरपोरेट गवर्नेंस को बेहतर बनाने के लिए एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पद बनाने की योजना बना रहा है.
ब्लूमबर्ग ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि, प्रस्ताव के मुताबिक सीईओ 153 साल पुराने टाटा साम्राज्य के व्यापक कारोबार का नेतृत्व करेंगे. जबकि चेयरमैन शेयरधारकों की ओर से सीईओ की देखरेख करेंगे.
रतन टाटा की तरफ से नहीं मिली है अभी मंजूरी
कार्यात्मक या अनुपालन दृष्टिकोण से टाटा संस को सीईओ की जरूरत नहीं है. पारंपरिक अर्थों में तो बिल्कुल नहीं मानी जा सकती. भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट समूह की होल्डिंग कंपनी के रूप में इसके तहत सीधे कोई संचालन नहीं है और एक असूचीबद्ध कंपनी है. हालांकि, बॉम्बे हाउस के सूत्रों के मुताबिक टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन रतन टाटा जो टाटा संस के मालिक हैं जिन्हें इस बदलाव के लिए महत्वपूर्ण माना जा सकता है इनकी तरफ से अभी तक इस योजना को औपचारिक रूप से मंजूरी नहीं दी गई है.
बता दें, टाटा संस ने बीते दिन अपनी 103वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) वर्चुअली आयोजित की गई. कंपनी के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन का फरवरी 2022 में कार्यकाल समाप्त होने के बाद विस्तार के लिए विचार किया जा रहा है.
वहीं, विभिन्न टाटा समूह की कंपनियों के नेताओं, विशेष रूप से टाटा स्टील लिमिटेड को सीईओ की भूमिका के लिए विचार किया जा रहा है.
आगे की चुनौतियां
एक नए समूह के सीईओ को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. टाटा स्टील $ 10 बिलियन के शुद्ध ऋण भार से जूझ रही है जबकि टाटा मोटर्स, जो ब्रिटिश मार्के जगुआर लैंड रोवर का मालिक है, पिछले तीन वर्षों से मार्च 2021 तक लगातार घाटे में चल रही है.
टाटा संस ने 2019-20 में 19,397 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो एक साल पहले की अवधि में 10,916 करोड़ रुपये था.
इस बीच, वित्तीय वर्ष 2021 के लिए इसका स्टैंडअलोन लाभ बढ़कर 6511.63 करोड़ रुपये हो गया, जबकि परिचालन से राजस्व में 60% की गिरावट के बावजूद यह एक साल पहले की अवधि में 24,770.46 करोड़ रुपये से 9460.24 करोड़ रुपये हो गया था.
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