नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार पांच समाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस रिमांड में लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को इनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार तक जवाब देने को कहा है. अगली सुनवाई ने गुरुवार यानि 6 सितंबर को होगी. तबतक ये सभी पांचों लोग हाउस अरेस्ट पर रहेंगे यानि अपने घर पर नज़रबंद रहेंगे.


इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच लोग पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट


कल महाराष्ट्र पुलिस ने देश के अलग-अलग हिस्सों से पांच समाजिक कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, वरावरा राव, गौतम नवलखा, वर्नोन गान्जल्विस और अरुण फेरेरा को गिरफ्तार किया था. गिफ्तारी के खिलाफ आज इतिहासकार रोमिला थापर समेत पांच जाने माने लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुबह 10.30 बजे इनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से सुनवाई की गुजारिश की. तब पांच जजों की संविधान पीठ में बैठे चीफ जस्टिस के लिए सुनवाई कर पाना मुमकिन नहीं था. उन्होंने सिंघवी से  दोपहर 3.45 पर कोर्ट में आने के लिए कहा.


एफआईआर में इन पांचों लोगों का नाम नहीं- सिंघवी


एक और मामले की सुनवाई के चलते इस मामले को सुनने में देर हुई, करीब 4.30 बजे सुनवाई शुरू हुई. सिंघवी के साथ प्रशांत भूषण, राजीव धवन, इंद्रिरा जयसिंह और वृंद्रा गोवर जैसे वकील भी याचिकाकर्ताओं के समर्थन में खड़े थे. बहस की शुरुवात करते हुए सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि भीमा कोरेगांव मामला नौ महीने पुराना है. इसकी एफआईआर में इन पांचों लोगों का नाम नहीं है. इन्हें कल अचानक गिफ्तार कर लिया गया.


एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किया याचिका का विरोध


सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई ना करे. आरोपी पहले ही हाईकोर्ट जा चुके हैं. यहां पर याचिका जिन लोगों ने कि है, उनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है. कोर्ट ने उन्हें रोकते हुए कहा कि यह मामला मौलिक अधिकार से जुड़ा है. अगर कुछ लोग इसे लेकर हमारे पास पहुंचे हैं तो बात को इस तरह के तकनीकी सवाल में उलझाना सही नहीं है. हम समझते हैं कि हमें सुनवाई करनी चाहिए.


अचानक गिफ्तारी की वजह क्या है?- सुप्रीम कोर्ट


इसके बाद कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के वकील से पूछा कि घटना के 9 महीने के बाद अचानक गिफ्तारी की वजह क्या है. इसका कोई भी सटीक जवाब महाराष्ट्र के वकील नहीं दे सके. राज्य के एक और वकील ने फिर तकनीकी सवाल उठाया कि उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने दो लोगों को राहत दे दी है. जबकि उनकी याचिका तकनीकी तौर पर ग़लत थी. उनके इस बयान पर बेंच के सदस्य जस्टिस डी वीई चंद्रचूड़ नाराज़ हो गए. उन्होंने वकील को फटकारते हुए कहा ‘’ आप ऐसे तकनीकी सवाल मत उठाइए, असली सवाल लोकतंत्र का है, लोकतंत्र में असहमति सेफ्टी वाल्व की तरह है, अगर सेफ्टी वाल्व को बंद किया गया तो प्रेशर कूकर फट सकता है.''


गिरफ्तार हुए सभी लोगों को हाउस अरेस्ट रखने का आदेश


इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी के सुझाव को मानते हुए कहा कि फिलहाल गिरफ्तार हुए सभी लोगों को हाउस अरेस्ट पर रखा जाए यानि उनके घर पर नज़रबंद रखा जाए. गौरतलब है कि कानून हाउस अररेस्ट का मतलब होता है कि घर से बाहर जाने की इजाजत ना होना, हांलाकि इस दौरान घर पर दैनिक गतिविधियों या किसी से मिलने-झुलने पर कोई रोक नहीं होती.


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