नई दिल्ली: महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा में पुलिस ने आज महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा, दिल्ली और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में छापेमारी की है. पुलिस ने इन राज्यों से नक्सली कनेक्शन में एक्टिविस्ट गौतम नवलखा, फरीदाबाद से  सुधा भारद्वाज और वामपंथी चिंतक वरवर राव सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.  पुलिस ने करीब 250 ईमेल की छानबीन की जिसके बाद उसे कई अहम सुराग मिले थे. पुलिस ने इसी आधार पर इन राज्यों में छापेमारी की थी. इस मामले में आज पंजाब हरियाणा हाइकोर्ट ने सुधा भारद्वाज को पुणे ले जाने पर रोक लगा दी है.


दिल्ली से गौतम नवलखा गिरफ्तार


भीमा कोरेगांव में हिंसा की जांच में जुटी पुणे पुलिस ने मंगलवार सुबह दिल्ली से एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को गिरफ्तार कर साकेत कोर्ट पेश किया. पुलिस ने गौतम की एक दिन की ट्रांसिट रिमांड ली, लेकिन हाईकोर्ट ने इसपर एक दिन का स्टे लगा दिया है. कल इस पर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी, तब तक गौतम हाउस अरेस्ट रहेंगे.


फरीदाबाद में सुधा भारद्वाज गिरफ्तार


पुलिस ने एक गिरफ्तारी हरियाणा के फरीदाबाद से की है. पुलिस ने यहां सुधा भारद्वाज को गिरफ्तार कर जिला अदालत में पेश किया. महाराष्ट्र पुलिस ने सुधा को ट्रांजिट रिमांड पर देने की मांग की है. सुधा भारद्वाज नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में प्रोफेसर हैं. सुधा भारद्वाज के साथ आए साथियों ने कहा है कि सुधा को झूठा फंसाया जा रहा है. वह मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं और दलितों गरीब मजदूरों की लड़ाई लड़ती हैं. सुधा की धारा 120 बी के तहत गिरफ्तारी की गई है.


पुलिस की तरफ से गिरफ्तार किए गए लोगों को लेकर रिपब्लिकन सेना के अध्यक्ष आनंदराज आंबेडकर ने कहा है, ‘’मुझे नहीं लगता कि कम्युनिस्ट विचारधारा के लोग माओवादिओं से संबंध रखते हैं. गिरफ्तार करके सरकार को माइंड डायवर्ट करना है. गिरफ्तार करना है तो भीमा कोरेगांव मामले में मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे को गिरफ्तार करो.’’


एल्गार परिषद में हुए भाषणों ने साम्प्रदायिक तनाव बनाया- पुलिस


पुलिस के मुताबिक, जांच में ये बात सामने आई है कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद में हुए भाषणों ने साम्प्रदायिक तनाव बनाया .जिसके बाद भीमा कोरेगांव हिंसा हुई. इसी सिलसिले में पुणे पुलिस ने उस परिषद के आयोजिक सुधीर ढवले समेत अन्य पांच को नक्सली समर्थक होने के आरोप में गिरफ़्तार किया है. इनकी पूछताछ में कई लोगों के बारे में जानकारी मिली. पुलिस ने करीब 250 ईमेल की छानबीन की जिसके बाद उसे कई अहम सुराग मिले थे. पुलिस ने इसी आधार पर छापेमारी की थी.


क्या है भीमा कोरेगांव हिंसा?

बता दें कि इसी साल जनवरी में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी थी. पूरा झगड़ा 29 दिसंबर से शुरू हुआ था. 29 दिसंबर को पुणे के वडू गांव में दलित जाति के गोविंद महाराज की समाधि पर हमला हुआ था, जिसका आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा और एफआईआर दर्ज हुई. एक जनवरी को दलित समाज के लोग पुणे के भीमा कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुए और इसी दौरान सवर्णों और दलितों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की जान चली गई और फिर हिंसा बढ़ती गई.

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