प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बेंगलुरु जोनल ऑफिस ने एक बड़े साइबर इन्वेस्टमेंट फ्रॉड में कार्रवाई करते हुए करीब 7.02 करोड़ रुपये की रकम अटैच की है. ये रुपये 29 अलग-अलग बैंक अकाउंट्स में जमे थे जो कई फर्जी कंपनियों के नाम पर खोले गए थे. इस पूरे घोटाले को ShareHash नाम के मोबाइल ऐप के जरिए अंजाम दिया गया.

ShareHash नाम के इस ऐप ने लोगों को क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के नाम पर मोटा मुनाफा कमाने का झांसा दिया. ऐप पर इन्वेस्ट करने के बाद शुरुआत में कुछ पैसे रिटर्न में देकर लोगों का भरोसा जीता गया. ये वही पुराना Ponzi स्कैम था, जिसमें शुरुआत में थोड़ा पैसा लौटाकर बाकी रकम डुबो दी जाती है. जब इन्वेस्टर्स की संख्या बढ़ गई और करोड़ों की रकम जमा हो गई तब अचानक ऐप गूगल प्ले स्टोर से गायब कर दी गई और कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

इन कंपनियों के जरिए हुआ घोटालाED की जांच में सामने आया कि ये पूरा घोटाला कई कंपनियों के ज़रिए चलाया गया, जिनमें शामिल हैं, Cotata Technology Pvt. Ltd, Siraleen Tech Solutions Pvt. Ltd, Crampington Technology Pvt. Ltd, Nileen Infotech Pvt. Ltd और Moltres Exim Pvt. Ltd. इन सभी कंपनियों को COVID-19 महामारी के दौरान बेरोजगार युवाओं के नाम से फर्जी KYC के जरिए रजिस्टर किया गया था. इनके रजिस्टर्ड पते या तो गलत पाए गए या बंद मिले.

ED की जांच में ये भी सामने आया कि इन कंपनियों के बैंक अकाउंट्स में आए पैसे को पेमेंट गेटवे के जरिए सेकेंडरी फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया और वहां से या तो कैश में निकाल लिया गया या सोने की खरीद में लगाया गया.

पूरे नेटवर्क को खंगाल रही ED इतना ही नहीं, इस स्कैम में 40 से ज्यादा बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल किया गया ताकि पैसा कहां से आया और कहां गया ये ट्रैक ना किया जा सके. ज़्यादातर कंपनियों के डायरेक्टर्स और ओनर्स ने ED के समन का जवाब तक नहीं दिया या फिर अपने किसी तरह के संबंध से साफ इंकार कर दिया.

ED ने ये जांच साइबर क्राइम पुलिस, बेंगलुरु द्वारा दर्ज FIR के आधार पर शुरू की थी. यह FIR विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज हुई थी. फिलहाल मामले की गहन जांच जारी है और ED इस पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है. 

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