Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार (07 मई) को बंगाल स्कूल सेवा आयोग के करीब 25,000 नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई की. इस दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार से कड़े सवाल पूछे.

  


एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, चीफ जस्टिस ने बंगाल सरकार से पूछा कि उसने एक्सट्रा पद क्यों बनाए और वेटिंग लिस्ट वाले उम्मीदवारों को नियुक्त क्यों किया, जबकि चयन प्रक्रिया को ही कोर्ट में चुनौती दी गई थी.


शिक्षक और बच्चों का गड़बड़ हुआ अनुपात


कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल ने पूछा कि क्या इस तरह के आदेश को कायम रखा जा सकता है. इस पर उन्होंने कहा कि यह सीबीआई का भी मामला नहीं है कि 25,000 नियुक्तियां अवैध हैं. शिक्षक और बच्चों का अनुपात सब कुछ गड़बड़ा गया है.


HC के पास नहीं है नौकरियां रद्द करने का अधिकार


स्कूल सेवा आयोग की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने कहा कि हाई कोर्ट की पीठ के पास नौकरियां रद्द करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है और उसके आदेश इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के विपरीत हैं. इस पर जब सीजेआई ने पूछा कि क्या ओएमआर शीट और उत्तर पुस्तिकाओं की स्कैन की गई प्रतियां नष्ट कर दी गई हैं तो उन्होंने पॉजिटिव जवाब दिया. सीजेआई ने तब पूछा, "इतने संवेदनशील मामले" के लिए टेंडर क्यों नहीं जारी किए गए.


लोगों के डेटा को रखने के लिए आप जिम्मेदार- CJI


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि इन शीटों की डिजिटल प्रतियां रखना आयोग की ड्यूटी है. इस दौरान स्कूल सेवा आयोग के वकील जयदीप गुप्ता ने जवाब दिया कि यह उस एजेंसी के पास है जिसे काम आउटसोर्स किया गया था. इस पर सीजेआई ने पूछा, "कहां? सीबीआई को यह नहीं मिला. यह आउटसोर्स है, आपके पास नहीं. क्या सुरक्षा प्रोटोकॉल का इससे बड़ा उल्लंघन हो सकता है?


चीफ जस्टिस ने कहा कि उनको सिर्फ स्कैनिंग के लिए काम पर रखा गया था, लेकिन आपने उन्हें पूरा डेटा रखने दिया, आप यह नहीं कह सकते कि उन्होंने इसे ले लिया, लोगों के डेटा को रखने के लिए आप जिम्मेदार हैं.


स्कूल सेवा आयोग को CJI ने लगाई फटकार


चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या आयोग ने आरटीआई आवेदकों को गलत बताया था कि उसके पास डेटा है. आपके पास कोई डेटा नहीं है. इस पर स्कूल सेवा आयोग के वकील जयदीप गुप्ता ने कहा कि ऐसा हो सकता है. जब उन्होंने पूछा कि क्या हाई कोर्ट के निर्देश निष्पक्ष थे, तो मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया, "लेकिन यह सिस्टमैटिक रूप से धोखाधड़ी है."


सीजेआई ने कहा कि आज सरकारी नौकरियां मिलना काफी कठिन हो गई हैं. अगर उनकी नियुक्तियों को भी बदनाम किया जाता है तो सिस्टम में क्या रह जाता है? लोग विश्वास खो देंगे, आप इसे कैसे स्वीकार करेंगे?


स्कूल सेवा आयोग के वकील ने पेश की दलील


स्कूल सेवा आयोग की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में आयोग की ओर से अनियमितताओं के बारे में कुछ भी नहीं है. अगर हम बीच में एक पीढ़ी खो देते हैं तो हम भविष्य के लिए सीनियर हेडमास्टरों और परीक्षकों को खो देंगे. उनहोंने कहा कि उनमें से कई को कोई नोटिस नहीं मिला. जब सिरदर्द होता है, तो आप अपना पूरा सिर नहीं छोड़ते हैं.


क्या है मामला?


सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में सीबीआई को बंगाल सरकार के अधिकारियों की जांच करने को कहा गया था. इसने 25,000 से ज्यादा टीचरों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.


HC ने नियुक्तियों को "मनमाने ढंग से" कर दिया रद्द


इस पर कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या उपलब्ध सामग्री के आधार पर वैध और अवैध नियुक्तियों को अलग करना संभव है. इस पर बंगाल सरकार ने तर्क दिया है कि हाई कोर्ट ने नियुक्तियों को "मनमाने ढंग से" रद्द कर दिया है.


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