कोलकाता: पश्चिम बंगाल में सास 2017 में राजनीतिक पार्टीयों में अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन और सांप्रदायिक दंगों की घटनाएं देखने को मिली. हालांकि, साल की समाप्ति बहुत मिठासपूर्ण रही जब रसगुल्ला की उत्पत्ति को लेकर ओडिशा से जारी लंबी लड़ाई राज्य ने जीत ली.


गोरखालैंड आदोलन, सांप्रदायिक तनाव या घोटालों जैसे ज्वलंत मुद्दों को लेकर सुलगते रहे राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ हमलावर रहीं. इस साल उनके करीबी नेता मुकुल रॉय तृणमूल कांग्रेस से बाहर हो गये और वह बीजेपी में शामिल हो गये.

ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के नोटबंदी और जीएसटी के कदम की मुखर विरोधी रहीं. उन्होंने जीएसटी को एक ‘महा स्वार्थी टैक्स’ करार दिया. अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर दार्जिलिंग में 104 दिनों तक बंद रहा और यह अब तक का सबसे बड़ा बंद है.

इस साल राज्य के उत्तरी 24 परगना जिले के बशीरहाट में सांप्रदायिक दंगे हुए. तृणमूल कांग्रेस ने इसे ‘बीजेपी और आरएसएस का काम’ बताया और इन्होंने इन आरोपों का खंडन किया. राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में चिटफंट और नारद वीडियो घोटाले की गूंज भी सुनाई देती रही.

रोज वेली घोटाले के सिलसिले में सीबीआई ने तृणकां के दो सांसदों सुदीप बंधोपाध्याय और तापस पाल को गिरफ्तार कर लिया. नारद घोटाले के सिलसिले में सीबीआई और ईडी ने तृणकां के कई नेताओं से पूछताछ की. नवंबर का महीने में पश्चिम बंगाल के लिए सुखद रहा और उसने पड़ोसी राज्य ओडिशा के साथ रसगुल्ला को लेकर जारी लड़ाई जीत ली.