पंजशीर से अब तक विरोध का सामना कर रहे तालिबान ने आज अचानक देर शाम नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट के नेता अहमद मसूद के तालिबान से समझौता कर लेने का ऐलान कर दिया. तालिबानी नेता खलील उर रहमान हक्कानी ने ये दावा किया कि अहमद मसूद ने तालिबान से समझौता कर उसके प्रति अपनी निष्ठा का आश्वासन दे दिया है. लेकिन कुछ देर बाद अहमद मसूद की तरफ से पंजशीर के ट्विटर हैंडल पर सफाई आई कि अभी तालिबान से बातचीत चल रही है. 


अहमद मसूद की तरफ से तालिबानी दावे पर कहा गया कि वो तालिबान के साथ एक व्यापक सरकार गठन पर बातचीत कर रहे हैं और अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है. हालांकि ये भी गौरतलब बात है कि जो नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट अभी तक तालिबान से सिर्फ और सिर्फ लड़ने और उसे रोकने की कसमे खाता था वो भी अब तालिबान के साथ इस बार बातचीत की मेज़ पर आ गया है. 


हालांकि पंजशीर के ट्विटर हैंडल पर अहमद मसूद का एक विडियो भी जारी किया गया है, जिसमें अहमद मसूद आज़ाद देश की बात करते हुए अल्लाह के नाम पर अपने लोगों की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं. 


इस बीच दिलचस्प बात ये भी है कि वो अमरुल्लाह सालेह जिनकी तालिबान से दुश्मनी पुरानी है उन्होंने अब तक तालिबान के दावे पे कुछ नहीं कहा. कयास लगाए जा रहे थे कि काबुल पर तालिबानी कब्ज़े के बाद सालेह पंजशीर में हीं मौजूद हैं और नहीं से खुद के राष्ट्रपति होने का भी दावा किया और ट्वीट के ज़रिए तालिबान को चुनौती देने का भी। 


अब देखना दिलचस्प होगा कि तालिबान और अहमद मसूद के बीच बातचीत का क्या नतीजा निकलता है। इस बीच भारत सरकार के सूत्रों ने कहा कि सालेह तालिबान के आगे घुटने टेक देंगे इसकी गुंजाइश बहोत कम है मगर ये बात भी सच है कि इस बार फिलहाल नैशनल रेज़िसटेन्स फ्रंट को ताजिकियो का पूरा समर्थन नहीं मिल रहा।