Bangalore: बेंगलुरु से अजीबो गरीब मामला देखने को मिला है, जहां एक व्यक्ति ने ओला कैब्स के सह-संस्थापक भविश अग्रवाल पर सर्विस सही ना देने के लिए मुकदमा दायर कर दिया. शख्स ने एग्रीगेटर से किराए पर ली गई कैब के एयर-कंडीशनर को काम नहीं करने की वजह से मुकदमा किया. मामले की सुनवाई शहर की एक उपभोक्ता अदालत ने कि. अदालत ने ओला प्रमुख को यात्रा का किराया वापस करने और ग्राहक को परेशानी पैदा करने के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया.

  


उनके मामले की सुनवाई करने वाली शहर की एक उपभोक्ता अदालत ने हाल ही में ओला प्रमुख को यात्रा का किराया वापस करने और ग्राहक को परेशानी पैदा करने के लिए 10,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके अलावा अदालत ने व्यक्ति के अदालती खर्च के लिए 5,000 रुपये देने को भी कहा. मामला 18 अक्टूबर, 2021 का है जब बेलंदूर निवासी और व्यवसायी 36 वर्षीय विकास भूषण ने कैब एग्रीगेटर के ऐप पर 80 किमी की यात्रा के लिए ओला प्राइम सेडान बुक किया था. कैब में एयर कंडीशनर का वादा किया गया था. 


नहीं मिली कोई भी प्रतिक्रिया
भूषण ने पाया कि कैब में पूरी यात्रा के दौरान, एसी काम नहीं कर रहा था, जिससे उसे और उसके सह-यात्रियों को अत्यधिक असुविधा हुई. यात्रा के दौरान शिकायत दर्ज करने का कोई विकल्प नहीं होने और कैब किराए के रूप में 1,837 रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर होने के बाद, बंगाली ने जल्द ही ओला के कस्टमर केयर से संपर्क किया,लेकिन कैब फर्म के प्रतिनिधियों ने भूषण को बताया कि रेट कार्ड के हिसाब से शुल्क लिया गया है और एसी के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं है. इसके बाद ग्राहक ओला के को-फाउंडर और एएनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के एमडी भाविश अग्रवाल के पास पहुंचा. भूषण ने ई मेल और ट्विटर दोनों जगहों में टच करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिली. 


इसके बाद भूषण ने 11 नवंबर, 2021 को ओला की सेवा में कमी की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज कराई और रिफंड की मांग की. ओला ने एक ईमेल में स्वीकार किया कि एसी को सेवा में शामिल किया गया था, लेकिन रिफंड से इनकार कर दिया. इसके बदले ग्राहक को 100 रुपये का कूपन देने की पेशकश की. भूषण ने मई 2022 को शांति नगर में बेंगलुरु शहरी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया और सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए अग्रवाल के खिलाफ शिकायत की. भूषण ने अपने मामले को अपने दम पर पेश किया, जबकि ओला के वकील ने निर्धारित 45 दिनों की अवधि के बाद ही एग्रीगेटर का पक्ष दायर किया. इसे अदालत ने 7 नवंबर, 2022 को खारिज कर दिया. 


 60 दिनों के भीतर राशि का भुगतान के दिए निर्देश 
न्यायाधीशों ने कहा, "ओला वादे के अनुसार ग्राहकों को सभी सेवाएं प्रदान करने के लिए बाध्य है. बेंगलुरु के मामले में, उन्होंने पूरी यात्रा अवधि के लिए एसी सेवा प्रदान किए बिना ग्राहकों को असुविधा और मानसिक पीड़ा दी है. सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए ओला दोषी है, और यह भी जोड़ा कि पीड़ित राहत का हकदार है. 18 जनवरी, 2023 को सुनाए गए फैसले में, अदालत ने फैसला सुनाया कि भाविश अग्रवाल को असुविधा और मानसिक पीड़ा के लिए ग्राहक को 10,000 रुपये का मुआवजा देना होगा. इसके साथ ही शिकायतकर्ता के 5,000 रुपये के मुकदमेबाजी खर्च को वहन करने के अलावा 1,837 रुपये का यात्रा किराया ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि आदेश के 60 दिनों के भीतर सभी राशि का भुगतान किया जाना चाहिए.


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