Balakot Airstrike: भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के रक्षा खजाने में अब एक ऐसी मिसाइल शामिल हो चुकी है, जो सीमा पार किए बिना ही पाकिस्तान को तहस नहस कर सकती है. मंगलवार (23 अप्रैल) को मध्यम दूरी की इजरायली एयर लॉन्चड बैलिस्टिक मिसाइल (ALBM) क्रिस्टल मेज II का सफल परीक्षण किया गया. अगर बालाकोट एयरस्ट्राइक के समय भारत के पास यह मिसाइल होती तो पुलवामा हमले का बदला लेने के लिए सीमा पार करने की जरूरत नहीं होती. 250 किमी रेंज की यह मिसाइल देश में रहकर ही पाकिस्तान के कई इलाकों को उड़ा सकती है. यह भारत के पास मौजूद क्रिस्टल मेज-1 से बिल्कुल अलग है. अब वायुसेना मेक इन इंडिया कैंपेन के तहत इजरायल से ली गई मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल करके बड़े स्तर पर इसका उत्पादन शुरू करने जा रही है.


मंगलवार को  Su-30 MKI से क्रिस्टल मेज II को लॉन्च किया गया था. इसे एयरक्राफ्ट और सबमरीन समेत अलग-अलग प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मिसाइल का सफल परीक्ष स्ट्रैटीजिक फोर्स कमांड (SFC) की देख रेख में किया गया. मिसाइल दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है और गैर-जीपीएस क्षेत्र में भी काम कर सकती है. रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच ALBM मिसाइलों की काफी चर्चा है. रूस ने अपने क्षेत्र के अंदर और यूक्रेनी एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज से बाहर फाइटर जेट पर ALBM मिसाइलों को तैनात किया है. 


भारत से 81 किलोमीटर पर है बालाकोट
साल 2019 में पुलवामा हमले की जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट पर एयरस्ट्राइक कर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप्स का खात्मा किया था. इस हमले के लिए वायुसेना के जवानों को लाइन ऑफ कंट्रोल को पार करना पड़ा था, लेकिन उस समय क्रिस्टल मेज II अगर वायुसेना के पास होती तो ये भारत से ही पाकिस्तान में तबाही मचा देती. बालाकोट जम्मू-कश्मीर के उरी से 81 किलोमीटर और लाइन ऑफ कंट्रोल से 50 किलोमीटर की दूरी पर है. इस रेंज में मौजूद लक्ष्यों को क्रिस्टल मेज-2 मिसाइल से निशाना बनाया जा सकता है.


क्या हैं क्रिस्टल मेज-2 की खासियत?
क्रिस्टल मेज-II एक एक्सटेंडेड स्टैंड-ऑफ मिसाइल है जो एयर टू सरफेस यानी हवा से जमीन पर वार करती है. 250 किमी रेंज की यह मिसाइल लॉन्च करने पर पहले ऊपर की तरफ जाती है और फिर स्पीड से अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ती है. मिसाइल में उड़ान के दौरान लक्ष्य को बदला भी जा सकता है और हर मौसम में यह काम करने में सक्षम है. मिसाइल को विस्फोटक वॉरहेड के साथ किसी भी तरह के एयरक्राफ्ट पर तैनात किया जा सकता है. सुखोई-30 एमकेआई, मिराज-III/V, SU-24 और चीता पर भी क्रिस्टल मेज-2 मिसाइल को लगाया जा सकता है. इसके अलावा, मिग-29, एसयू-27/3, मिराज 2000 और टॉरनेडो के साथ भी इंटीग्रेड किया जा सकता है.


किसी भी मौसम में कर सकती है काम
क्रिस्टल मेज-2 दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है और गैर जीपीएस क्षेत्र में भी लक्ष्य पर सटीकता से हमला कर सकती है. वायु सेना की दुश्मनों के लंबी दूरी के रडार और वायु रक्षा प्रणालियों जैसे हाई वैल्यू वाले स्थिर और लगातार स्थान बदलने वाले लक्ष्यों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल करने की योजना है. क्रिस्टल मेज-2 मिसाइल की एक खासियत यह भी है कि एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर इसके कंट्रोल को ट्रांसफर किया जा सकता है. लॉन्चिंग के बाद एयरक्राफ्ट को मिसाइल पर कंट्रोल बनाए रखने की जरूरत नहीं होती है. कंट्रोल को दूसरे प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट किया जा सकता है.


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