नई दिल्ली: आध्यात्मिक गुरू श्रीश्री रविशंकर ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा कि इससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के सदस्यों को खुशी और राहत मिली है. बता दें कि रविशंकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस विवाद के मैत्रीपूर्ण हल के लिए पहले नियुक्त की गई मध्यस्थता समिति का हिस्सा थे.


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श्रीश्री रविशंकर से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तहे दिल से स्वागत करते हैं और लंबे समय से चल रहा मामला आखिरकार एक निष्कर्ष पर पहुंच गया है. उन्होंने लोगों से समाज में शांति और सौहार्द्र बनाए रखने का अनुरोध किया. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं तहे दिल से माननीय उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत करता हूं. इससे दोनों समुदाय के लोगों को खुशी और लंबे समय से चल रहे विवाद से राहत मिली है.’’


योग गुरु रामदेव ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रशंसा की और कहा कि ‘‘हमें दुनिया के सामने एकता की नजीर पेश करनी चाहिए.’’ उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘हिंदू भाइयों को मस्जिद के निर्माण में मुस्लिम भाइयों की मदद करके एक नजीर पेश करनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि ऐसा कोई जश्न न मनाया जाए जिससे किसी की भावनाएं आहत हो.


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कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें


आज सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से किए गए फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि को रामलला को सौंपने का फैसला किया. इसके साथ ही अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए किसी वैकल्पिक लेकिन प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित किया जाए. वहीं इस फैसले पर असंतोष जताते हुए सुन्नी वक्फ ने कहा है कि वह इस पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर करेगा. पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले का फैसला किया. इसके अध्यक्ष खुद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रहे. उनके अलावा इस बेंच में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं. चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. उनकी जगह शरद अरविंद बोबडे लेंगे.


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