Atiq Ahmad Ashraf Ahmed Shot Dead: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या के बाद उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस अलर्ट मोड में हैं. प्रशासन की ओर से सख्त चेतावनी दी गई है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट लिखने वाले खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. 


बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शनिवार (15 अप्रैल) रात करीब 10 बजे कॉल्विन अस्पताल के पास अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद सोशल मीडिया पर काफी पोस्ट देखी जा रही हैं. सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट्स पर नजर रखी जा रही है.


सीएम योगी और पुलिस की चेतावनी


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को शांति व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश देने के साथ ही जनता से सहयोग का आह्वान भी किया है. सीएम ने कहा है कि कानून के साथ कोई भी खिलवाड़ न करे. उन्होंने जनता से अपील की है कि किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें. सीएम योगी ने कहा है कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.


भड़काऊ पोस्ट करने होगा एक्शन


उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री डालने या भड़काऊ पोस्ट लिखने और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी. पुलिस को एकदम अलर्ट रखा गया है. यहां तक कि पुलिसकर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं और उन्हें तत्काल ड्यूटी पर पहुंचने का निर्देश दिया गया है.


इन धाराओं में हो सकती है कार्रवाई


सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करना या अफवाह फैलाना साइबर अपराध के तहत आता है. ऐसे अपराधियों के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000 (IT Act, 2000) की धारा-67, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए और आईपीसी की धारा-505 के तहत कार्रवाई हो सकती है. 


कानून के जानकार बताते हैं कि सोशल मीडिया के जरिये किसी धर्म या जाति की भावनाएं आहत करने या दंगे के लिए उकसाने पर दोषी को आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती है. धर्म, नस्ल, दो समूह, जन्म स्थान या रहने के स्थान या भाषा के नाम पर नफरत फैलाने वाले खिलाफ आईपीसी की धारा-153ए के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है. 


वही, कोई व्‍यक्ति अगर बोलकर, लिखकर, इशारे से या किसी और तरीके से सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ता है तो उसके खिलाफ आईटी एक्ट और आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है. यह गैरजमानती अपराध होता है. पुलिस आरोपी को तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार कर सकती है. दोषी को तीन साल की जेल हो सकती है और उस पर जुर्माना भी लग सकता है. अफवाह फैलाने पर आईपीसी की धारा-505 के तहत भी कार्रवाई हो सकती है. इसमें तीन साल की सजा का प्रावधान है.


आईटी एक्ट-2000 की धारा 67 के तहत होती है ये कार्रवाई


सोशल मीडिया पर भड़काऊ, आपत्तिजनक या नफरत फैलाने वाली पोस्ट, वीडियो या तस्वीर शेयर करने पर आईटी एक्ट-2000 की धारा-67 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है. ऐसे में आरोपी को जेल जाना पड़ सकता है और साथ ही जुर्माना देना पड़ सकता है.


आईटी एक्ट-2000 की धारा 67 के तहत अगर कोई व्यक्ति पहली बार दोषी पाया जाता है तो उसे 3 साल कारावास की सजा हो सकती है और  पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगया जा सकता है. अगर व्यक्ति दोबारा अपराध करता है तो 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. भड़काऊ पोस्ट के चलते सांप्रदायिक हिंसा होने पर अगर किसी की जान चली जाती है तो दोषी को आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है. वहीं, अगर भड़काऊ पोस्ट के चलते कहीं कोई तोड़फोड़ होती है (सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है) तो उसकी वसूली आरोपी से की जा सकती है.


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