Atiq Ahmad Killed: गैगस्टर और नेता अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या के बाद कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं. एक सवाल ये उठ रहा है कि क्या अतीक की सुरक्षा में हुई चूक हुई या जानबुझकर गलती की गई है. दरअसल, शुक्रवार (14 अप्रैल) को यूपी पुलिस का काफिला जब अतीक को लेकर थाने से निकला था, तब इस काफिले में तीन गाड़ियां थीं, जिनमें दो खुली जीप और एक स्कॉर्पियो शामिल थीं. जबकि शनिवार (15 अप्रैल) को भी अतीक को पुलिस जहां थाने से लेकर निकली तो काफिले में वही तीन गाड़ियां शामिल थीं. इसमें दो खुली जीप और एक स्कॉर्पियो मौजूद थी.


दोनों दिन बराबर थी सिक्योरिटी 


शुक्रवार और शनिवार (14 और 15 अप्रैल) की इन तस्वीरों से साफ है कि पुलिस सिक्योरिटी दोनों ही दिन बराबर थी. हर दिन अतीक को पीछे से खुली जीप में ही ले जाया गया, जो उसकी सुरक्षा में शुरू से ही बड़ी चूक थी. इन जीप और स्कॉर्पियो पर कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगा था.


इंटेलीजेंस ने जान का खतरा बताया था


जब अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाया जा रहा था. तब भी इंटेलीजेंस ने उसकी जान को खतरा बताया था. शक था कि अतीक पर हमला हो सकता है. उस समय बाकायदा सीसीटीवी कैमरे लगी गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया था और अतीक को बख्तरबंद बंद गाड़ी में ही रखा जाता था. 


मगर, ऐसा क्या हुआ कि रिमांड के दौरान पुलिस ने अतीक की सुरक्षा बेहद कम कर दी. बख्तरबंद गाड़ी तो दूर अतीक को खुली जीप में थाने से बाहर छापेमारी और मेडिकल के लिए अस्पताल ले जाया जाने लगा. ऐसे में सवाल कुछ उठते हैं कि...


अतीक अहमद को रिमांड पर लेने के बाद सुरक्षा कम क्यों की गई?


अतीक को लाने ले जाने के लिए पीछे से खुली जीप का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा था?


क्या अतीक अहमद पर हमले का खतरा कम हो गया था? 


अस्पताल के बाहर अतीक अहमद पुलिस के सुरक्षा घेरे में क्यों नहीं था?


क्या पुलिस से गलती हुई या पुलिस ने जानबुझकर गलती की?


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