Assembly Elections in North East: पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनावी बिगुल बजने जा रहा है. चुनाव आयोग बुधवार (18 जनवरी) को त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान करेगा. चुनाव होने हैं, उनमें त्रिपुरा में बीजेपी अकेले दमपर सत्ता में है जबकि नागालैंड और मेघालय में वह गठबंधन सरकार का हिस्सा है. यानी ये साफ है कि इन तीनों राज्यों में बीजेपी के पास सत्ता को बचाने की चुनौती है.


त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में मार्च की अलग-अलग तारीखों में विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में यहां पर फरवरी-मार्च में चुनाव तारीखों के पड़ने की संभावना है. तीनों राज्यों में 60-60 विधानसभा सीटें हैं. पूर्वोत्तर बीजेपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. पीएम मोदी खुद कई बार पूर्वोत्तर से लगाव का जिक्र कर चुके हैं. ऐसे में देखना है कि बीजेपी के सामने इस बार क्या चुनौती है और पार्टी क्या तैयारी कर रही है.


त्रिपुरा में दो तरफ से घेरा
त्रिपुरा में बीजेपी लगातार दो बार से सत्ता में है, लेकिन इस बार बीजेपी के सामने दो तरफ से घेरेबंदी हो सकती है. पिछली बार बीजेपी ने अकेले दम पर बहुमत तो हासिल कर लिया था लेकिन उसके और सीपीएम के बीच वोटों के शेयर में महज सवा फीसदी का ही अंतर था. ऐसे में अगर सीपीएम और कांग्रेस एक साथ मैदान में उतर जाते हैं तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है. 


हालांकि बीजेपी ने 2022 में बिप्लब देब को हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी लेकिन ये दांव कितना कारगर बैठता है, इसका पता चुनाव में ही लगेगा. बीजेपी के लिए एक नई मुश्किल ममता बनर्जी की टीएमसी खड़ी कर सकती है. त्रिपुरा में टीएमसी ने अपनी गतिविधियां काफी तेज की हैं. पार्टी का जनाधार त्रिपुरा में बढ़ा है जो बीजेपी के लिए चिंता का कारण बन सकता है. साथ ही टिपरा मोथा (Tipra Motha) की अलग राज्य की मांग भी कुछ नुकसान पहुंचा सकती है.


मेघालय में बहुकोणीय मुकाबला
60 सीटों वाली मेघालय विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च 2023 को पूरा होगा. 2018 के चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी तो जरूर बनी लेकिन सरकार बनाने से रह गई. उस समय चुनाव बाद मेघालय डेमोक्रेटिक फ्रंट बना, जिसें 19 सीटों वाली एनपीपी, बीजेपी (2 सीट), पीडीएएफ (4), यूडीपी (6 सीट) और HSPDP (2 सीट) शामिल हुए और सरकार बनाई. एनपीपी के नेता कोनराड संगमा मुख्यमंत्री बने. बीजेपी यहां गठबंधन में तो है लेकिन 2023 में सभी दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है. ऐसे में यहां बीजेपी को यहां अपनी सीटें बढ़ाकर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी. ताकि वह चुनाव बाद गठबंधन का हिस्सा बन सके.


टीएमसी भी ठोकेगी ताल
मेघालय की राजनीति इस बार कुछ ज्यादा ही दिलचस्प होने वाली है. सबसे बड़ी पार्टी भले ही कांग्रेस बनी थी लेकिन राज्य में प्रमुख विपक्षी दल टीएमसी है. दरअसल 2021 में कांग्रेस विधायक मुकुल संगमा 12 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे. मुकुल कांग्रेस नेता के तौर पर 2010 से 2018 तक मुख्यमंत्री रहे थे. वहीं टीएमसी ने ऐलान किया है कि वह सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ऐसे में चुनाव के नतीजे चौंका सकते हैं.


नागालैंड में बीजेपी ही नहीं, नेफ्यू रियो के लिए भी चुनौती
नागालैंड में 60 सीटें हैं लेकिन 2018 में केवल 59 सीटों पर ही मतदान हुआ था. वजह, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के नेफ्यू रियो निर्विरोध निर्वाचित हो गए थे जिसके चलते एक सीट पर चुनाव नहीं हुआ. 2018 में एनडीपीपी और बीजेपी ने साथ चुनाव लड़ा था जिसमें एनडीपीपी को 18 जबकि बीजेपी को 12 सीटों पर जीत मिली थी. नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) 26 जीतें सीटकर सबसे बड़ी पार्टी तो बनी लेकिन बीजेपी गठबंधन भारी पड़ा. नेफ्यू रियो के नेतृत्व में एनडीपीपी-बीजेपी ने सरकार का गठन किया था.


बीजेपी के साथ ही मौजूदा सीएम नेफ्यू रियो के लिए भी सत्ता बचाने की चुनौती है. 2018 में वे चौथी बार राज्य के सीएम बने थे. मेघालय में उनके कद का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि 2022 में प्रमुख विपक्षी दल एनपीएफ के 21 विधायक रियो की एनडीपीपी में शामिल हो गए थे. ऐसे में रियो के लिए भी ये चुनाव महत्वपूर्ण है.


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