Himanta Biswa Sarma News: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार (6 अप्रैल) को कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र को लेकर उसकी आलोचना की. सीएम सरमा ने कहा कि घोषणापत्र भारत के बजाय पाकिस्तान के चुनाव के लिए ज्यादा ठीक लगता है. उन्होंने दावा किया कि इस घोषणापत्र का मकसद सत्ता में आने के लिए समाज को बांटना है. वहीं, कांग्रेस ने असम सीएम पर हमला बोलते हुए कहा कि वह बीजेपी के प्रति वफादारी दिखाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं.


दरअसल, कांग्रेस की तरफ से शुक्रवार (5 अप्रैल) को 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणापत्र जारी किया गया. ये पांच 'न्याय के स्तंभों' पर आधारित है, जिसके तहत 25 गारंटियों को पूरा करने की बात की गई है. कांग्रेस की तरफ से अपने चुनावी घोषणापत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, राष्ट्रव्यापी जातिगत जनगणना और अग्निपथ योजना को खत्म कर पुरानी भर्ती योजना लागू करने की बात कही गई है. पार्टी की तरफ से युवाओं को रोजगार देने की भी बात की गई है. 


हिमंत बिस्वा सरमा ने क्या कहा?


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया कि ये तुष्टीकरण की राजनीति है. जोरहाट में चुनावी रैली को संबोधित करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए असम सीएम ने कहा, "यह तुष्टिकरण की राजनीति है और हम इसकी निंदा करते हैं. घोषणापत्र ऐसा लगता है जैसे यह भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान के चुनाव के लिए है." 


असम सीएम ने जोर देकर कहा कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, तीन तलाक को दोबारा नहीं चाहता है. वह बहुविवाह या बाल विवाह का समर्थन भी नहीं करता. उन्होंने कहा, "कांग्रेस की मानसिकता समाज को बांटकर सत्ता में आने की है." सरमा ने विश्वास जताया कि बीजेपी असम की 14 लोकसभा सीटों पर आसानी से जीत हासिल कर लेगी. 


बीजेपी के प्रति वफादारी साबित करने के लिए देते हैं बयान: कांग्रेस


वहीं, असम के मुख्यमंत्री सरमा के घोषणापत्र पर दिए बयान से कांग्रेस खासा नाराज हुई और उन पर हमला बोला. पार्टी ने कहा कि उनके जैसा दलबदलू व्यक्ति सबसे पुरानी पार्टी के धर्मनिरपेक्ष और समावेशी लोकाचार को नहीं समझ पाएगा. दरअसल, हिमंत बिस्वा सरमा पहले कांग्रेस में थी. लंबे समय तक पार्टी में रहने के बाद वह 2015 में बीजेपी में शामिल हुए.


असम कांग्रेस के प्रवक्ता बेदब्रत बोरा ने कहा, "सरमा कई वर्षों तक कांग्रेस में रहे, लेकिन वह पार्टी के मुख्य लोकाचार को नहीं समझ सके, इसीलिए वह बीजेपी में चले गये. बीजेपी में रहने के बाद भी वह पार्टी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश करते रहते हैं." बोरा ने सरमा के जरिए लगाए गए तुष्टिकरण के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पार्टी के घोषणापत्र का मकसद समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा करना है.


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