जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में भारतीय नौसेना के 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने भी अपनी जान गंवाई. उनकी 16 अप्रैल को शादी हुई थी और आतंकी हमले से पहले 19 अप्रैल को उनका रिसेप्शन हुआ था. वो पत्नी के साथ छुट्टी मनाने कश्मीर गए थे. इस बीच लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा कि पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल असिम मुनीर हमारा दुख तब समझेंगे जब कोई उनके बच्चे को नुकसान पहुंचाएगा.

नौसेना अधिकारी के पिता ने आसिम मुनीर को दिया श्राप

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पार्थिव शरीर के पास बैठी उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल की तस्वीर पूरी दुनिया को अब तक के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक की याद दिलाता रहेगा. एनडीटीवी से बात करते हुए राजेश नरवाल ने कहा, "पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर मेरा दर्द तभी समझ पाएंगे, जब कोई उनके बेटे या बेटी को नुकसान पहुंचाएगा. जिस दिन उन्हें पता चलेगा कि उनके बेटे या बेटी की आतंकवादी हमले में मौत हो गई, तभी उन्हें दर्द का एहसास होगा."

करनाल में शादी समारोह के ये कपल हनीमून के लिए कश्मीर रवाना होया. 22 अप्रैल को दोनों बैसरन के मनोरम मैदान में भेलपूरी खा रहे थे तभी एक बंदूकधारी आतंकी आया और उसने लेफ्टिनेंट नरवाल के सिर में बिल्कुल नजदीक से गोली मार दी. हिमांशी नरवाल को अपने पति के शव के पास रोते-बिलखते पूरी दुनिया ने देखा.

'परिवार में कोई दो-तीन घंटे से ज्यादा सो नहीं पाता'

राजेश नरवाल ने कहा, "मैं अपने परिवार के सामने रो भी नहीं सकता. मेरी पत्नी, मेरे माता-पिता, सब टूट चुके हैं, लेकिन मुझे शांत रहना है ताकि उन्हें लगे कि मैं मजबूत हूं. मन को शांति नहीं मिल रही है. इतने दिन हो गए हैं, हम सो नहीं पा रहे हैं. हमारा दिमाग पूरी तरह से सुन्न हो गया है. कोई भी दो-तीन घंटे से ज्यादा सो नहीं पा रहा है. जब हम साइकेट्रिस्ट (मनोचिकित्सक) के पास जाते हैं तो वे दवाइयां लिखते हैं, लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है."

'केवल प्रतिबंधों से समाप्त नहीं होते आतंकवादी संगठन'

अमेरिका ने पाकिस्तान स्थितरेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को आतंकवादी संगठन घोषित किया है. TRF ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी. इसे लेकर राजेश नरवाल ने कहा, अमेरिकी सरकार ने यह कदम उठाया है, लेकिन यह रातोंरात नहीं हुआ. टीआरएफ का गठन 2019 में हुआ था जब हमारी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में धारा-370 को रद्द कर दिया था. यह उनका मुखौटा है. आतंकवादी संगठन, चाहे भारत में हों या दुनिया के किसी भी कोने में, केवल प्रतिबंधों से समाप्त नहीं होते."

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