Ashok Gehlot Demand Social Security Act: राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. कलह के साथ-साथ कांग्रेस भी इस कोशिश में जुट गई है कि राज्य की सत्ता हाथ से न चली जाए. इसे लेकर अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ा दांव चल दिया है. चुनाव से कुछ ही महीने पहले गहलोत ने सोशल सिक्योरिटी का मुद्दा उठाया है और कहा है कि इसे लेकर संसद में कानून बनाया जाना चाहिए. गहलोत के इस बयान को आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की मौजूदगी में सीएम गहलोत ने ये बयान दिया. 


NREGA की तरह बने कानून
एक कार्यक्रम में अशोक गहलोत ने सोशल सिक्योरिटी का जिक्र करते हुए कहा, "हमने चिरंजीवी योजना लागू की है राजस्थान में हेल्थ के लिए, पूरे देश के अंदर ऐसी योजना कहीं नहीं है, एक प्रकार से यूनिवर्सल हैल्थ, 10 लाख रुपए का हमने बीमा कर रखा है. ये मैं समझता हूं वक्त आ गया है कि आरटीई की तरह, फूड सिक्योरिटी एक्ट की तरह, नरेगा की तरह ऐसे कानून बने देश के अंदर, राइट टू सोशल सिक्योरिटी, हर व्यक्ति को सोशल सिक्योरिटी कंपल्सरी हो. दुनिया के मुल्कों में जो विकसित राष्ट्र हैं वो परिवारों को वीकली पैसा देते हैं. कोई परिवार जो जरूरतमंद हैं उसके भरण-पोषण की सरकार जिम्मेदारी ले लेती है."


राज्य में पेंशन की सुविधा का किया जिक्र
गहलोत ने अपने संबोधन में आगे कहा कि मेरा मानना है कि संसद के अंदर सोशल सिक्योरिटी का एक्ट बने. अभी हम राजस्थान के अंदर 1 करोड़ लोगों को पेंशन दे रहे हैं. जिसमें बुजुर्गों को, विधवाओं को, एकल नारी को, निःशक्तजनों को पेंशन दी जाती है. ओपीएस, जिसे लेकर बहस चल रही है, मैं फिर कहना चाहूंगा कि हमारी सरकार ने सोच-समझकर, गुणा-भाग करके मानवीय दृष्टिकोण से ओपीएस लागू की है, 35 साल तक सर्विस करता है कोई व्यक्ति, उसको कॉन्फिडेंस रहना चाहिए कि सरकार जो पहले ध्यान रखती थी बुढ़ापे में वो ही ध्यान ओपीएस के माध्यम से रखेगी. 


अशोक गहलोत बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच सोशल सिक्योरिटी का मुद्दा छेड़कर एक नई बहस शुरू कर दी है, गहलोत का ये दांव बीजेपी और केंद्र सरकार को घेरने के लिए है. क्योंकि सोशल सिक्योरिटी का मुद्दा देशभर के लोगों से जुड़ा है, ऐसे में गहलोत और कांग्रेस पार्टी इसे आने वाले चुनावों में उठा सकती है.


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