Babri Masjid Controversy: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने 12वीं और 11वीं क्लॉस की पॉलिटिकल साइंस की किताब में कई बड़ें बदलाव किए हैं. जिसमें एनसीईआरटी ने 12वीं क्लॉस की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'बाबरी मस्जिद' शब्द को हटा दिया है. इसकी जगह पर 'तीन गुंबद वाली संरचना' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इसको लेकर अब एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने एनसीईआरटी और मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

दरअसल, एआईएमआईएम प्रमुख और मौजूदा हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि एनसीईआरटी ने बाबरी मस्जिद की जगह “तीन गुंबद वाली संरचना” शब्द लिखने का फैसला किया है. इसने अयोध्या के फैसले को “सर्वसम्मति” का उदाहरण बताने का भी फैसला किया है. ओवैसी ने आगे कहा कि भारत के बच्चों को पता होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस को “घोर आपराधिक कृत्य” कहा है.

इस दौरान एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भारत के बच्चों को पता होना चाहिए कि साल 1949 में एक चालू मस्जिद को अपवित्र किया गया और फिर 1992 में भीड़ ने उसे ध्वस्त कर दिया. ऐसे में एनसीईआरटी को आपराधिक कृत्यों का महिमामंडन करते हुए बड़ा नहीं होना चाहिए.

 

जानिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, एनसीईआरटी की पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद को 16वीं सदी की मस्जिद के रूप में पेश किया गया है, जिसे मुगल बादशाह बाबर के जनरल मीर बाकी ने बनवाया था. हालांकि, अब, चैप्टर में इसे 'तीन गुंबद वाली संरचना' के रूप में दिखाया गया है, जिसे साल 1528 में श्री राम के जन्मस्थान पर बनाया गया था, लेकिन संरचना के अंदरूनी और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों का साफतौर पर प्रदर्शन किया गया था.

जबकि, एनसीईआरटी की पुरानी किताब में दो पन्नों से ज्यादा फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला कोर्ट के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद 'दोनों तरफ' की लामबंदी का बखान किया गया था.

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