वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के चल रही बहस में हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यदि हम भारत माता को देवी कह रहे हैं तो हम इसमें धर्म ला रहे हैं. 

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'आजादी बरकरार रहे, हमने मुल्क-मजहब एक नहीं बनाया'

उन्होंने कहा कि हमारी आजादी बरकरार रही है, क्योंकि हमने मुल्क और मजहब को एक नहीं बनाया है. अगर हम वन्दे मातरम् को वफादारी कि पहचान बना देते हैं तो आप महान स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रहे हैं. 

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'माली और जल्लाद का दिया उदाहरण'

अगर माली यह कहेगा कि सिर्फ एक ही फूल मिलेगा तो वह माली माली नहीं रहेगा जल्लाद कहलायेगा. वफादारी का सर्टिफिकेट हमसे मत लीजिए. आपके बुजुर्गों की किताब में क्या लिखा है, वह बता दीजिए.

'हमारा ईमान मुल्क की मोहब्बत के बीच नहीं आता'

ओवैसी ने कहा, इस्लाम, मुसलमान होना, हमारे ईमान में मुल्क की मोहब्बत बीच में नहीं आता, मुल्क से मोहब्बत है और हमेशा रहेगी, लेकिन जिन्होंने आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया वो वतन की मोहबब्त की बात कहेंगे तो गलत होगा. जन गण मन पर आप लोगों को इतनी तकलीफ क्यों है. 

उन्होंने कहा कि 28 दिसंबर का ऑर्गेनाइजर मैगजीन में लिखा एक आर्टिकल मिला. वतन की मोहब्बत हमारे लिए बहुत अहम है. आनंद मठ के बारे में बहुत कुछ कहा गया. भारत में आजादी इसलिए आई क्योंकि हमने मुल्क और मजहब को एक नहीं बनाया.

'हमे उम्मीद है कि हुकूम जोर-जबर नहीं करेंगे'

अगर हम वंदे मातरम् को टेस्ट बनाते वफादारी का तो मान लीजिए गांधी, टैगोर, बोस, अंबेडकर की सोच को छोड़कर गोडसे की सोच की इख्तियार करेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि हुकूमत इस पर जोर जबर नहीं करे, मेरा राइट है, मुझे मालूम है कि वंदे मातरम् आजादी के समय का नारा था, लेकिन अगर आप जबर करेंगे तो ये संविधान के खिलाफ है. वफादारी का सर्टिफिकेट हमसे मत लीजिए.