नई दिल्लीः मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में फिर से प्रचंड जीत हासिल करते हुए 70 में से 62 सीटों पर जीत कर 2015 की कहानी दुहराई जब उसने 67 सीटें जीती थी. केजरीवाल के सभी मंत्रियों के साथ आम आदमी पार्टी के तमाम अहम चेहरों ने जीत दर्ज की जिनमें आतिशी मर्लिना, दिलीप पांडे, राघव चड्ढा जैसे नेता शामिल हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव में हार के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा.


जिन आठ सीटों पर आम आदमी पार्टी हारी उनमें से एक ऐसा नाम शामिल है जो टीम केजरीवाल का बेहद अहम हिस्सा है और जिसकी हार से आप के खेमे में खासी मायूसी है. हम बात कर रहे हैं दुर्गेश पाठक की. दुर्गेश पाठक को आम आदमी पार्टी के बाहर बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी में ऐसा कोई नहीं जो उन्हें और पार्टी में उनके कद को ना जनता हो.


महज 31 साल के दुर्गेश पाठक केजरीवाल के चुनिंदा खास नेताओं में से एक और आम आदमी पार्टी में फैसले लेने वाली सबसे अहम कमिटी पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी के सदस्य हैं. दुर्गेश पाठक को आम आदमी पार्टी ने उत्तर पूर्वी दिल्ली की करवाल नगर सीट से उतारा था जहां वो बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट से लगभग आठ हजार वोटों से चुनाव हार गए.


आपको बता दें कि पटपड़गंज सीट पर मनीष सिसोदिया ने बेहद कांटे की लड़ाई में जीत दर्ज की वरना ये इस चुनाव का सबसे बड़ा उलटफेर हो सकता था. बहरहाल सिसोदिया की जीत से जहां आम आदमी पार्टी ने राहत की सांस ली वहीं पाठक की हार ने आप के पुराने कार्यकर्ताओं को बेहद निराश कर दिया.


दिल्ली से लेकर पंजाब तक अहम भूमिका


आपको बता दें कि जब 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थी तब दुर्गेश पाठक के पास 35 सीटों की जिम्मेदारी थी. बाकी की 35 सीटें दिलीप पांडे के जिम्मे थी जो इस बार तिमारपुर सीट से विधायक चुने गए हैं.


2015 की जीत की रणनीति बनाने और उसे कामयाब बनाने में दुर्गेश की अहम भूमिका थी. इसी वजह से दिल्ली विधानसभा चुनाव के फौरन बाद पार्टी ने मिशन 2017 के तहत उन्हें पंजाब भेजा. बेहद कम समय में दुर्गेश ने पंजाब में आम आदमी पार्टी का ऐसा मजबूत संगठन खड़ा कर दिया कि आम आदमी पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने की दहलीज पर आ कर खड़ी हो गई.


हालांकि, आखिरी वक्त में रणनीतिक गलतियों की वजह से आम आदमी पार्टी पंजाब में सरकार बनाने में नाकाम रही लेकिन अकाली दल को पीछे छोड़ कर आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्ष बनी. हालांकि पंजाब में सरकार बनाने का मौका चूकने के कारण दुर्गेश पाठक पर उंगलियां भी उठी लेकिन केजरीवाल का विश्वास उनमें बरकरार रहा.


2017 नगर निगम चुनाव के बाद जब करवाल नगर से आप विधायक कपिल मिश्रा बागी बने तभी से उनके विकल्प के तौर पर केजरीवाल ने दुर्गेश पाठक को मोर्चे पर लगा दिया. करीब दो सालों पाठक इलाके में सक्रिय भी थे लेकिन पार्टी के लिए जीत की पटकथा लिखने के लिए मशहूर पाठक खुद अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर सके.


इस वजह से हारे दुर्गेश पाठक


आम आदमी पार्टी के जानकारों का मानना है कि अगर दुर्गेश की जीत होती तो केजरीवाल कैबिनेट में उनकी जगह पक्की थी. आप के सूत्र बताते हैं कि कड़ी मेहनत के बावजूद आखिरी वक्त में वोटों के ध्रुवीकरण की वजह से दुर्गेश पाठक चुनाव हार गए. वहीं उनके प्रचार में शामिल एक आप कार्यकर्ता ने बताया कि पूर्वांचली प्रभाव वाली करावल नगर सीट पर दुर्गेश अपनी पूर्वांचली पहचान को वोटरों तक पहुंचाने में नाकाम रहे.


करावल नगर के अलावा आम आदमी पार्टी की जिन सीटों पर हार हुई उनमें लक्ष्मी नगर, घोंडा और रोहतास नगर की सीट शामिल है जहां 2015 में जीते हुए आप के विधायक हारे. इसके अलावा रोहिणी और विश्वास नगर में बीजेपी ने अपनी सीट बरकरार रखी. गांधी नगर और बदरपुर की सीटों पर आप ने कांग्रेस से आए नेताओं को टिकट दिया था जो चुनाव हार गए.


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