Kejriwal ED Questioning: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने चौंका दिया है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक भी है. दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार (21 मार्च) रात सीएम केजरीवाल को उनके आवास से गिरफ्तार किया.


केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने जोर देकर कहा है कि अगर सीएम को जेल जाना पड़ा तो वह वहीं से सरकार चलाएंगे. इस घटनाक्रम के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि किसी सीएम को पद पर रहते हुए पहली बार गिरफ्तार किया गया है.


इस बीच ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है और अगर गिरफ्तारी के बाद सीएम को जेल जाना पड़े तो क्या वह वहीं से सरकार चला सकता है? आइये जानते हैं. 


CM की गिरफ्तारी को लेकर क्या है कानूनी प्रावधान?


संविधान के अनुच्छेद 361 के अनुसार, सिविल मामले में किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार या हिरासत में नहीं लिया जा सकता है लेकिन आपराधिक मामले गिरफ्तारी हो सकती है. वहीं, राष्ट्रपति और किसी राज्य के राज्यपाल को उनका कार्यकाल समाप्त होने तक सिविल और क्रिमिनल कार्यवाही से छूट मिली हुई है.


सीएम की तरह आपराधिक मामले में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा सांसदों, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों की गिरफ्तारी का भी प्रावधान है. हालांकि, केवल गिरफ्तारी से पीएम या सीएम अयोग्य नहीं होते हैं.


अनुच्छेद 361 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए किसी भी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं.


कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 क्या कहता है?


कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 सीएम या विधान परिषद के सदस्य को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट देता है. वहीं आपराधिक मामलों में ऐसी छूट नहीं दी गई है. हालांकि, आपराधिक मामले में सीएम की गिरफ्तारी से पहले विधानसभा के अध्यक्ष की स्वीकृति लेना जरूरी होता है.


कोड ऑफ सिविल प्रोसिजर 135 के तहत अनुसार, किसी सीएम या विधान परिषद के सदस्य को विधानसभा सत्र शुरू होने से 40 दिन पहले या उसके समाप्त होने के 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.  किसी मुख्यमंत्री को विधानसभा से भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.


सीएम की गिरफ्तारी को लेकर सीआरपीसी क्या कहती है?


बता दें कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 के प्रावधानों के अनुसार, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति मिली हुई, जिसके खिलाफ अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया हो.


जहां तक सीएम की बात है तो एजेंसियां कुछ नियमों और प्रक्रियात्मक पहलुओं का पालन करते हुए आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती हैं.


सीएम को तभी गिरफ्तार किया जा सकता है जब यह मानने की पर्याप्त वजह हो कि आरोपी फरार हो जाएगा, सबूत नष्ट करने की कोशिश करेगा या कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए कोई साजिश करेगा.


कानूनी तौर पर एक सीएम या राज्य सरकार के वास्तविक प्रमुख के साथ एक सरकारी अधिकारी की क्षमता के तहत व्यवहार किया जाता है. उन्हें उन अन्य आधारों पर गिरफ्तार किया जा सकता है जो उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन के लिए प्रासंगिक नहीं हैं. सीएम के रूप में किए गए कर्तव्यों का पालन भारत के संविधान, कानून, नियमों और रेगुलेशंस के अनुसार किया जाता है.


क्या जेल से सरकार चला सकते हैं केजरीवाल?


जेल से सरकार चलाना तार्किक रूप से भले ही अव्यावहारिक लगे लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जो किसी मुख्यमंत्री को ऐसा करने से रोकता हो. कानून कहता है कि किसी मुख्यमंत्री को केवल तभी अयोग्य ठहराया जा सकता है या पद  से हटाया जा सकता है जब वह किसी मामले में दोषी ठहराया गया हो. सीएम अरविंद केजरीवाल के मामले में अभी तक उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है.


लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 में कुछ अपराधों के लिए अयोग्यता के प्रावधान किए गए हैं, लेकिन जो व्यक्ति पद पर है, उसे अयोग्य ठहराने के लिए उसकी दोषसिद्धि अनिवार्य है.


मुख्यमंत्री केवल दो स्थितियों में अपना पद खो सकता है. विधानसभा में बहुमत का समर्थन खोने पर उसे पद से हटना पड़ता है या सरकार के खिलाफ एक सफल अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से उसे कुर्सी गंवानी पड़ती है.


माना जा रहा है कि अगर अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाते हैं तो यह उनके लिए आसाना नहीं होगा क्योंकि उनके दो पूर्व कैबिनेट सहयोगी मनीष सिसौदिया और सत्येन्द्र जैन पहले से ही सलाखों के पीछे हैं. हालांकि, केजरीवाल के पास अपने मंत्रिमंडल में कोई विभाग नहीं है.


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