India-China Standoff: पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पिछले 18 महीने से जारी विवाद के बाद चीन अब अरूणाचल प्रदेश में भी हरकतें बढ़ा रहा है. करीब दो हफ्ते पहले ही चीन के करीब 200 सैनिकों ने अरूणाचल प्रदेश के यांगत्से में घुसपैठ करने की कोशिश की, जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया. अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर चीन के खिलाफ भारत की सैन्य तैयारियां क्या है, ये जानने के लिए एबीपी न्यूज पहुंचा है भारतीय सेना के एविएशन बेस‌ और एयर स्पेस कंट्रोल सेंटर में.


एबीपी न्यूज की टीम सबसे पहले पहुंची असम के तेजपुर के करीब मिसामारी एविएशन बेस पर. अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी की निगरानी के लिए इसी साल यहां सेना की एक इंडिपेन्डेंट एविएशन ब्रिगेड को तैनात किया गया है. इस बेस पर दुनिया के सबसे दमदार माने जाने वाले इजरायली हेरॉन ड्रोन से लेकर स्वदेशी अटैक हेलाकॉप्टर, डब्लूएसआई यानि रूद, एएलएच-ध्रुव और चीता हेलाकॉप्टर तैनात हैं. मिसामारी द्वितीय विश्वयुद्ध का एविएशन बेस है जहां से चीन में होने वाली ऑपरेशन को लिए सप्लाई भेजी जाती थी. असम के तेजपुर स्थित 4 कोर, जिसे गजराज कोर के नाम से भी जाना जाता है उसके अंतर्गत ही मिसानारी एविएशन ब्रिगेड काम करती है. गजराज कोर के अंतर्गत ही पूरी अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी की जिम्मेदारी है.


भारत और चीन के बीच पिछले 18 महीने से जारी विवाद में मौजूदा सुरक्षा तंत्र में ज़बरदस्त बदलाव हुआ है. विवाद भले ही पूर्वी लद्दाख में हो लेकिन पूरी एलएसी 'एक्टिव' है.  सेना के इस्टर्न सेक्टर का अरुणाचल प्रदेश आज भी चीन की नज़रों में खटकता है. यहां तक की उपराष्ट्रपति के दौरे को लेकर भी चीन आपत्ति करता है. यही वजह है कि भारतीय सेना अरूणाचल प्रदेश से सटी 1200 किलोमीटर लंबी एलएसी पर पूरी तरह से चौकान्ना है. भारतीय सेना ने भी अपनी तरफ़ से पूरी तैयारी कर रखी है.


अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर भारतीय सेना के ड्रोन दिन रात मंडरा रहे हैं और चीन की हर हरकत पर नज़र रख रहे हैं. इसके लिए असम के मिसामारी आर्मी एविएशन बेस से लगातार हेरोन ड्रोन एलएसी पर निगरानी के लिए उड़ान भर रहे है. हेरोन मार्क-1ए ड्रोन लगभग 30 हजार फीट की ऊंचाई से नॉन-स्टॉप 24 से 30 घंटे तक उड़ान भरकर हर हरकत पर नज़र रख सकता है. उड़ान के दौरान हेरॉन करीब 20-25 किलोमीटर तक जमीन पर निगरानी रख सकता है.


हेरोन आरपीवी यानि रिमोटलैस पायलट व्हीकल की खासियत है कि 200-250 किलोमीटर दूर ग्राउंड स्टेशन पर तैनात ऑपरेटर लाइव फीड देख सकता है. इस वक्त ये यूएवी भारतीय सेना की निगरानी की 'बैकबोन' है.  हेरॉन ड्रोन भारतीय सेना में साल 2006 से शामिल हुए थे.


हेरॉन में दो तरह के कैमरे है, एक जो दिन में काम करता है और दूसरा जो नाइट ऑपरेशन्स के लिए है.  ख़ास बात तो ये है कि खराब मौसम में भी इस ड्रोन से निगरानी की जा सकती है. ख़राब मौसम के लिए इसमें सिंथेटिक अपरचर रडार लगी है. सिंथेटिक अपरचर रडार से हर पूरे टेरेन को मार्क कर सकते है जिससे पूरी टेरेन के बारे में पता चल जाता और पहले के डाटा से तुलना कर के ये चेक कर सकते हैं कि कहां पर दुश्मन का कोई बिल्डअप है या नहीं.


मिसानारी एयर बेस से सेना की पूर्वी कमान में कहीं भी ऑपरेशन हो रहे है ये सबसे पहला एयरक्रफ्ट है जो उड़ान भरते हैं और सबसे आख़िर में लैंड करते है. मिसामारी बेस पर एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल संभालने वाली अधिकारियों का मानना है कि नार्थ ईस्ट रीजन में ऑलटिट्यूड और टेरेन अलग अलग है. इसके अलावा मौसम भी अनिश्चित रहता है. यहां तक की सेना की तैनाती काफ़ी फॉरवर्ड लोकेशन तक है. ऑपरेशन भी लगातार जारी रहते हैं इसलिए ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए पायलट बहुत ही ट्रेंड होते हैं.


सूत्रों के मुताबिक़ साल 2017 में इन ड्रोन को नॉर्थ ईस्ट के इस एवियेशन बेस पर तैनात किया गया था और फ़िलहाल चीन और भारत के बीच चल रहे तनाव के चलते इनकी तैनाती को बढ़ाया गया है. जो कि दिन रात चौबीस घंटे एलएसी पर चीनी मूवमेंट और इंफ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर पैनी नज़र गड़ाए बैठे है.


ड्रोन के अलवा मिसामारी एवियेशन बेस पर एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर, एएलएच-ध्रुव और अटैक हैलिकॉप्टर, डब्लूएसआई 'रूद्र' को भी तैनात किया गया है.  पिछले चालीस साल से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे सिंगल इंजन वाले चीता हैलिकॉप्टर भी तैनात है.


एएलएच-ध्रुव से सैनिकों को फॉरवर्ड लोकेशन पर भेजने से लेकर राशन और हथियारों की सप्लाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो रूद्र को एग्रेसिव ऑपरेशन के लिए. स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर, रूद्र एयर टू एयर मिस्ट्रल मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल, हेलिना और रॉकेट लॉन्चर से लैस है. दुश्मन के टैंक हो या फिर हेलीकॉप्टर, बंकर‌ और चौकी को धवस्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ध्रुव और चीता हेलीकॉप्टर को कैज्युलटी इवैक्युशेन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.


भारतीय सेना की एविएशन ब्रिगेड सिर्फ एलएसी की एयर स्पेस की ही निगहबानी करती है बल्कि चीन की एयरस्पेस पर भी पैनी नजर रखती है. भारतीय सेना की यहां तैनात 5 माउंटेन इंफेंट्री ब्रिगेड का तो आदर्श वाक्य ही है, 'फाइट फॉरवर्ड, फाइट एग्रेसिव.' इसके लिए एविएशन ब्रिगेड ने अरूणाचल प्रदेश के रूपा में एक एयर-स्पेस कंट्रोल सेंटर बनाया है. इस सेंटर से एलएसी के करीब चीनी एयर स्पेस की गतिविधियों पर रखी जाती है. चीन का जो भी एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन अगर एलएसी के करीब आता है तो उसे ट्रैक किया जाता है और फिर उसके खिलाफ जरूरी कारवाई के लिए फॉरवर्ड फॉर्मेशन्स को अलर्ट कर दिया जाता है.


एबीपी न्यूज की टीम जब एयर-स्पेस कंट्रोल सेंटर के अंदर थी उस वक्त वहां लगे रडार मॉनिटर पर चीन के दो एयरक्राफ्ट साफ तौर से दिखे जा सकते थे. वहां मौजूद कर्नल नवनीत चैल ने बताया कि ये दोनों ही एयरक्राफ्ट एलएसी से 100 किलोमीटर की दूरी पर चीन का एयर स्पेस में थे, इसलिए चिंता की बात नहीं है. लेकिन अगर  ये एलएसी के करीब आने की कोशिश करते हैं तो उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है.


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