नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर लगातार सेना और सेना के बड़े अफसरों के खिलाफ दुष्प्रचार पर लगाम लगाने के लिए सेना जल्द ही अपने पूर्व-सैनिकों के खिलाफ एक 'कोड ऑफ कंडक्ट' यानि आचार संहिता लाने पर विचार कर रही है. इसके तहत सभी सैनिकों को रिटायरमेंट से पहले लिख कर देना होगा कि रिटायरमेंट के बाद वो इस कोड ऑफ कंडक्ट के तहत ही अपना आचरण रखेंगे. ये आचार संहिता एक सिपाही से लेकर जनरल रैंक के अधिकारी तक पर लागू होगी.


जानकारी के मुताबिक, थलसेना मुख्यालय स्थित एडजुटेंट ब्रांच (एजी) इस तरह की आचार संहिता पर काम कर रही है जिसके तहत कोई भी सैनिक रिटायरमेंट के बाद बिना किसी 'पुख्ता सबूत' के सेना या फिर सेना के किसी बड़े अधिकारी पर किसी भी तरह का इल्जाम या आरोप ना लगा सके. यहां तक की एक कार्यरत सैनिक की तरह ही सरकार के खिलाफ भी अनाप-शनाप बयानबाज़ी ना कर सके.


दरअसल, सोशल मीडिया पर कई बार सेना के पूर्व-अधिकारी लगातार सेना और सेना के बड़े अधिकारियों के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी या फिर आरोप लगाते रहते हैं. कई बार सेना और सैनिकों से जुड़े मुद्दों को लेकर अभियान भी छेड़ देते हैं. जिसके कारण सेना लगातार सुर्खियों में बन जाती है. यही वजह है कि सेना इस सब पर लगाम लगाने का मन बना रही है.


लेकिन क्योंकि ये सेना की तीनों अंगों से जुड़़ा मुद्दा है इसलिए तीनों सेनाओं को इस तरह की आचार-संहिता के लिए तैयार होना होगा. साथ ही रक्षा मंत्रालय (और सरकार) से भी इसके लिए इजाजत लेनी होगी. क्योंकि आर्मी एक्ट पूर्व-सैनिकों पर लागू नहीं होता. इसके लिए आर्मी-एक्ट में बदलाव लाना होगा.


इस कोड ऑफ कंडक्ट को लेकर पूर्व-सैनिकों में रोष है. सोशल मीडिया पर इस तरह से वेटर्न्स की आवाज को बंद करने को लेकर विरोध भी होने लगा है. लेकिन सेना का मानना है कि सेना ही एकमात्र सरकारी संस्था है जिसमें अधिकारी रिटायरमेंट के बाद भी अपने नाम के साथ अपनी रैंक (मेजर, कर्नल इत्यादि) इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें सेना के नियम-कानून के तहत अपना आचरण रखना होगा.