Army Custodial Deaths Case: जम्मू-कश्मीर के पुंछ के सुरनकोट इलाके में 21 दिसंबर को आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 4 सैनिक शहीद हो गए थे और 3 अन्य घायल हो गए थे. इस मामले में पूछताछ के लिए 8 स्थानीय लोगों को लेकर गए थे, जिसमें से सेना की हिरासत में 3 की संदिग्त मौत के आरोप परिजनों ने लगाए थे. इस मामले में सेना ने 'कोर्ट ऑफ इंन्क्वायरी'ऑर्डर दिए हैं. शनिवार (30 दिसंबर) को पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती तीनों पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहीं थीं तो उनको सुरक्षा बलों ने बीच रास्ते में रोक दिया.
पीडीपी नेताओं ने कहा कि मुफ्ती को पार्टी के अन्य सहयोगियों के साथ बफलियाज के पास डेरा की गली में पुलिस ने रोक दिया और उन्हें पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए टोपा पीर गांव की ओर जाने की अनुमति नहीं दी गई.
उनके काफिले को आगे बढ़ने से रोके जाने के बाद मुफ्ती ने पैदल यात्रा करने का फैसला किया. वहीं, सुरक्षा बलों ने जब उनको रोका तो पीडीपी प्रमुख विरोध स्वरूप सड़क पर धरने पर बैठ गई. उन्होंने मांग की कि उन्हें गांव जाने की इजाजत दी जाए.
आतंकी हमले के बाद सेना की ओर से तीन नागरिकों- सफीर हुसैन (43), मोहम्मद शौकत (27) और शब्बीर अहमद (32) को पूछताछ के लिए उठाया गया था जिनकी हिरासत में लेने के अगले दिन संदिग्ध मौत हो गई थी.
बीजेपी अध्यक्ष रवींदर रैना ने की पीड़ित परिवारों से मुलाकात
हाल में बीजेपी अध्यक्ष रवींदर रैना ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी. प्रशासन की ओर से उनको दी गई अनुमति और उन्हें जाने नहीं देने फैसले पर महबूबा ने सवाल उठाया. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पिछले हफ्ते मृत नागरिकों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी देने की घोषणा की थी.
'मौत की गहन आंतरिक जांच का आदेश'
प्रशासन ने यह भी कहा था कि चिकित्सा-कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और इस मामले में उचित प्राधिकारी की तरफ से कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है. सेना ने 3 नागरिकों की मौत की गहन आंतरिक जांच का आदेश दिया है और कहा है कि वह जांच के संचालन में पूर्ण समर्थन और सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है.
'हम हालातों का पता लगाने से रोका जा रहा'
उन्होंने कहा कि यह नहीं चाहते कि हम वहां पर जाएं और हालातों का पता लगा सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि यह कुछ छुपाना चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर के लोग गांधी जी के हिन्दुस्तान के साथ शरणार्थी बनकर नहीं आए थे. हमारे लोगों को जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत जमीन और जंगलों से खदेड़ा जा रहा है.
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(पीटीआई-भाषा व एएनआई इनपुट्स के साथ)