नई दिल्ली: उत्तर-पूर्व राज्यों के दौरे के दौरान आज थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने आज अरूणाचल प्रदेश से सटी चीन सीमा पर भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लिया. साथ ही नागा-शांति समझौते पर चल रही बातचीत का भी ब्यौरा लिया और असम, नागालैंड और मणिपुर की आंतरिक-सुरक्षा की भी जानकारी ली.
सेना प्रवक्ता, कर्नल अमन आनंद के मुताबिक, थलसेना प्रमुख सोमवार को नागालैंड के दीमापुर पहुंचे थे. दीमापुर में सेना की तीसरी कोर (स्पियर-कोर) के मुख्यालय में पूर्वी कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान और कोर कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलीता ने चीन से सटी उत्तरी सीमा पर सेना की ऑपरेशनल तैयारियों की जानकारी दी. साथ ही उत्तर-पूर्व के राज्यों में आंतरिक-सुरक्षा की जानकारी दी.
आपको बता दें कि दीमापुर स्थित तीसरी (3) कोर के अंतर्गत अरूणाचल प्रदेश का किबिथू और वालॉन्ग इलाका आता है जहां 1962 में भारतीय सेना ने चीन की पीएलए सेना के दांत खट्टे कर दिए थे (‘वालॉन्ग की लड़ाई’). किबिथू के करीब फिश-टेल इलाका लंबे समय से भारत और चीन के बीच विवादित रहा है. यही वजह है कि पूर्वी लद्दाख में चल रही तनातनी के बीच इस इलाके की सुरक्षा भी बेहद अहम है. थलसेना प्रमुख का ये दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि लगातार इस तरह की खबरें आ रही हैं कि चीनी सेना अरूणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर अपनी तैनाती को बढ़ा रही है.
सेना के प्रवक्ता के मुताबिक, मंगलवार को जनरल नरवणे ने नागालैंड के राज्यपाल, एन. रवि और मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से भी मुलाकात कर राज्य की सुरक्षा पर चर्चा की और सेना और असम राइफल्स द्वारा राज्य-सरकार को पूरी तरह से मदद करने का वादा दोहराया ताकि राज्य में शांति कायम रहे. सेना प्रमुख ने नागालैंड से सटी म्यांमार-सीमा की सुरक्षा के बारे में भी राज्य के गर्वनर और मुख्यमंत्री से चर्चा की. जनरल नरवणे ने अपने दौरे के दौरान नागा-शांति समझौते के लिए चल रही बातचीत का भी जायजा लिया.
बुधवार को थलसेना प्रमुख दिल्ली लौटने से पहले नागालैंड की राजधानी, कोहिमा में असम राईफल्स द्वारा शुरू किए जाने वाले अनाथलाय का उदघाटन करेंगे.