Army Chief MM Naravane On China: संसद में चीन और पाकिस्तान के गठजोड़ को लेकर भले ही विवाद खड़ा हो गया हो, लेकिन देश के थलसेना, वायुसेना और नौसेना प्रमुखों ने साफ कर दिया है कि एलओसी (LoC) से लेकर एलएसी (LAC) और हाईब्रीड वॉरफेयर में भारत किसी से कम नहीं है. गुरूवार को एक वेबिनार में सेना के तीनों अंगों के प्रमुख एक ही मंच पर मौजूद थे और इस दौरान देश की रक्षा-सुरक्षा से जुड़ी सभी अटकलों को एक सिरे से खारिज कर दिया. वेबिनार को संबोधित करते हुए थलसेना प्रमुख, जनरल एम एम नरवणे (General MM Naravane) ने कहा कि पाकिस्तान से सटी एलओसी पर आज अगर शांति आई है तो इसलिए कि भारत आज मजबूत स्थिति में है. जनरल नरवणे के मुताबिक, चीन से सटी एलएसी पर स्टैंडऑफ दिखाता है कि हमारे बूट ऑन ग्राउंड है और हम अपनी अंखडता‌ और संप्रुभता की रक्षा कर सकते हैं.


आर्मी चीफ का चीन का नाम लिए बिना हमला


थलसेना प्रमुख (Army Chief) ने बिना चीन (China) का नाम लिए कहा कि कुछ देश वैश्विक नियम-कानून को चुनौती दे रहे है. ये चुनौती कई तरीके से देखने को मिल रही है. इनमें आक्रमक रवैये से लेकर यथा-स्थिति को बदलने की कोशिश शामिल है. जनरल नरवणे के मुताबिक हमारे विरोधी के साथ मिलकर अपने फायदे के लिए पॉलिटिकल, मिलिट्री और इकोनॉमिक डोमेन में ग्रे-जोन गतिविधियां जारी रखेंगे. उन्होनें कहा कि फ्यूचर-कॉन्फिलिक्ट के ट्रेलर दिखने शुरू हो गए हैं. ये इंफोर्मेशन बैटलफील्ड से लेकर नेटवर्क और साइबर स्पेस में दिख रहे हैं. हमारे विवादित बॉर्डर पर भी दिख रहे हैं. ड्रोन अटैक, साइबर अटैक, स्पेस वॉरफेयर पर चर्चा करते हुए थलसेना प्रमुख, जनरल नरवणे ने कहा कि जिसे हम आज साइंस-फिक्शन कहते हैं वो कल हकीकत में तब्दील हो जाता है. उन्होनें बताया कि किस तरह आर्टिफिशियल-इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) यानि एआई आज सभी तकनीक में घुस चुकी है.
 
'भारत के पास किसी भी चुनौती का सामने करने की क्षमता'


गुरूवार को भारतीय सेना ने सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़ के साथ मिलकर दो दिवसीय सम्मेलन किया था. सम्मेलन का थीम है ' कनटूर्स ऑफ फ्यूचर वॉर्स एंड काउंटर मेजर्स'. पहले दिन थलसेना प्रमुख, जनरल एम एम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने वेबिनार को संबोधित किया. वर्चुयल माध्यम से सम्मेलन को आयोजित किया गया था. सम्मलेन को संबोधित करते हुए वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने भी साफ लहजे में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में स्टैंडऑफ ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत के पास किसी भी चुनौती का सामना करने की पर्याप्त क्षमता है. उन्होनें कहा कि आज के समय में युद्ध सिर्फ जमीन, आकाश और समंदर मे ही नहीं लड़ा जाता, अब इसमें साइबर, स्पेस और इंफोर्मेशन वॉरफेयर भी जुड़ गया है.


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'भविष्य में बड़े युद्ध की संभावना को खारिज नहीं कर सकते'


चीन की अनरेस्ट्रिकटेड-वॉरफेयर नीति पर बात करते हुए एयर चीफ मार्शल ने कहा कि इससे दूसरे देशों के साथ संबंधों पर तो असर पड़ता ही है, ये शांति और युद्ध दोनों समय के लिए है. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि भविष्य में किसी बड़े युद्ध की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं कर सकते है. उन्होनें कहा कि युद्ध के लिए सिर्फ थलसेना, वायुसेना और नौसेना को ही तैयार नहीं रहना है बल्कि सरकार के सभी अंगों के बीच सिनर्जी की भी बेहद जरूरत होती है. एडमिरल हरि कुमार ने चीन पर अपरोक्ष रूप से वार करते हुए कहा कि आज के मल्टीपोलर वर्ल्ड में सुपरपावर्स की सेनाओं के बीच 'धक्का मुक्की' तो देख ही रहे हैं, कॉम्पिटिशन भी है. लेकिन इसको रोककर रखने की जरूरत है, नहीं तो 'सलामी-स्लाईसिंग' जैसी घटनाएं होती रहेंगी. 


उन्होनें साफ तौर से कहा कि फ्यूचर वॉर में सरप्राइज और शॉक तो मिलेंगे ही लेकिन हमें 'एंटी-फ्रेजाइल' रहने की जरूरत है. उन्होनें कहा कि सेना के तीनों अंगों के लिए नीस-टेक्नोलॉजी यानि आला-दर्जे की तकनीक होनी बेहद जरूरी है. परमाणु हथियारों से लैस दो-दो पड़ोसियों से घिरे होने और एक ऐसा पड़ोसी जिसके लिए आंतकवाद एक स्टेट पॉलिसी है, जनरल नरवणे ने कहा कि हमें एक आत्मनिर्भर-आर्मी तैयार करने की जरूरत है, जो अपनी रणनीति और कारवाई में भी आत्मनिर्भर हो. सीडीएस जनरल बिपिन रावत की पंक्तियों को दोहराते हुए थलसेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य के युद्ध स्वदेशी हथियारों से जीते जाएंगे. उन्होनें कहा कि भारतीय सेना देश की प्राचीन स्टेटक्राफ्ट पॉलिसी पर स्टडी कर रही है. इसमें चाणक्य की 'अर्थशास्त्र' शामिल है‌, जो बताती है कि राजतंत्र के लिए 'हार्ड पावर' क्यों जरूरी है‌. इसके अलावा दक्षिण के प्राचीन दार्शनिक, थिरूवलुवर द्वारा रचित, त्रिरूकुरल पर भी गहनता से रिसर्च चल रही है. 


वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल चौधरी ने भी माना कि टेक्नोलॉजी एक्सप्लोजन का डिसरेप्टिव असर होना लाजमी है. उन्होनें बताया कि यूक्रेन और सीरिया की घटनाएं दिखाती है कि आपका आर्थिक तौर से गला घोटा जा सकता है और डिप्लोमेटिक-आइसोलेशन भी हो सकता है. वायुसेना प्रमुख के मुताबिक, बजट में हमेशा कमी रहेगी, इसलिए भविष्य के युद्ध जीतने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करना जरूरी है. उन्होनें कहा कि डिटरेंस के लिए बेहद जरूरी है इंटेलीजेंस और वक्त रहते कॉम्बेट पावर का इस्तेमाल. 


देश के तीनों सैन्य प्रमुखों ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में होने वाले युद्ध में कुछ चीजें पुरानी होंगी और कुछ नई. ऐसे सरप्राइज और शॉक लगेंगे कि सभी प्लान धरे के धरे रह जाएंगे. हाईब्रीड वॉरफेयर के चलते जरूरी नहीं है कि लगातार जंग चलती रहे, ये रूक रूक कर भी हो सकती हैं. इसलिए देश की सभी संस्थाओं को बेहद मजबूत रहने की जरूरत है. सेना के तीनों अंगों को मिलकर ही भविष्य की चुनौतियों को सामना करना है. साथ ही नेशनल-पॉवर के सभी एसैट्स को मिलकर लड़ना होगा. इसके अलावा लड़ने के तरीकों को भी बदलने की जरूरत है. इसमें थियेटर कमान की जरूरतों पर भी सेमिनार में जोर डाला गया.


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