Antilia Explosive Case: मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वाजे एनआईए की गिरफ्त में हैं. उन पर उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास विस्फोटक रखने का संदेह है. एनआईए का मानना है कि अभी तक की जांच में सचिन वाजे मास्टरमाइंड नहीं हैं. लेकिन, साजिश का छोटा हिस्सा होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता. इस बीच, खुलासा हुआ है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर जिस रात स्कॉर्पियो गाड़ी खड़ी की गई थी, उसी रात संदिग्ध इनोवा कार में एक शख्स पीपीई किट पहने दिखा था. अब जांच एजेंसी एनआईए उस शख्स की तलाश में जुट गई है.


पीपीई किट में संदिग्ध की पहचान संभव
विशेषज्ञों का कहना है कि फॉरेंसिक ह्यूमन एनालिसिस के जरिये पीपीई किट में मौजूद शख्स का पता लगाया जा सकता है. मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉक्टर हेमलता पांडे ने एबीपी न्यूज से बातचीत की. उन्होंने बताया कि संदिग्ध के पहचान की प्रकिया को फॉरेंसिक पोडियाट्री कहते हैं. पांडे ने बताया, "मैंने इस विषय की पढ़ाई लंदन से की है, मेरे प्रोफेसर हेडन केली थे, उन्होंने साल 2000 में इस तकनीक का इस्तेमाल कर एक चोर को सजा दिलवाई थी. उस चोर ने अपनी पहचान छुपाने के लिए कई पकड़े पहने थे और मुंह को पूरी तरह से ढंक रखा था, हाथ में भी दस्ताने थे. उस समय प्रोफेसर केली ने फॉरेंसिक पोडियाट्री तकनीक का इस्तेमाल कर संदिग्ध चोर की पहचान की."


क्या है फॉरेंसिक ह्यूमन एनालिसिस?
हालांकि, जांच एजेंसियों को पता होता है कि संदिग्ध चलने में एक्टिंग कर गुमराह करने की कोशिश कर सकता है. ऐसे में शख्स का वीडियो कई एंगल से रिकॉर्ड किया जाता है. हो सकता है कि उसे पता न चले कि उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग हो रही है. संदिग्ध की जानकारी में आए बिना रिकॉर्डिंग को गेट सायकल कहते हैं. इस प्रक्रिया मे पैरों के बीच की दूरी को मापा जाता है. संदिग्ध की चाल को देखा जाता है कि उसकी रफ्तार क्या है. कमर से लेकर घुटने तक और फिर घुटने से लेकर पैर के तलवे तक को नापा जाता है. उसके बाद, फुटेज की सीसीटीवी फुटेज के साथ तुलना की जाती है और फिर अंदाज लगाया जाता है कि पीपीई किट में दिखाई देनेवाला शख्स असली है या कोई और.


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